पुनर्बलन कौशल पाठ योजना Reinforcement Skills Lesson Plan
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख पुनर्बलन कौशल पाठ योजना (Reinforcement Skills Lesson Plan) में।
दोस्तों यहाँ पर आप पुनर्बलन कौशल क्या है? पुनर्बलन कौशल के प्रकार के साथ ही आप पुनर्बलन कौशल के घटक समझ पायेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख पुनर्बलन कौशल पाठ योजना:-
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पुनर्बलन कौशल क्या है What is Reinforcement Skills
पुनर्बलन कौशल शिक्षण में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण और आवश्यक कौशल होता है जिसका सीधा सा अर्थ होता है, कि शिक्षक के द्वारा किया जाने वाला एक ऐसा व्यवहार जिससे छात्रों को पाठ के विकास में भाग लेने के लिए और प्रश्नों का सही उत्तर देने के लिए प्रोत्साहन मिलता हो।
हम साधारण शब्दों में कह सकते हैं, कि शिक्षक के द्वारा शिक्षण कार्य के दौरान जब कोई छात्र-छात्रा इच्छित व्यवहार का प्रदर्शन करता है तो शिक्षक शाब्दिक या अशाब्दिक स्वीकृति प्रदान करता है और पुनर्बलित करता है। अध्यापक के द्वारा बालक की प्रतिक्रिया पर बालक के उत्तर की प्रशंसा करना, उत्तर को स्वीकार करना, सिर हिलाना, पुनर्बलन का काम करता है
अर्थात जब शिक्षक के दौरान छात्र तथा छात्राएँ विभिन्न क्रियायो के बारे में प्रश्न पूछते हैं, उत्तर प्राप्त करते हैं तो इसके प्रतिउत्तर (Reply) में जब अध्यापक छात्र तथा छात्राओं के उत्तरों की प्रशंसा करते हैं उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों की प्रशंसा करते हैं तो छात्र-छात्रा की प्रतिक्रिया शक्ति को मजबूती मिलती है और छात्रों को पुनर्बलन प्राप्त होता है।
पुनर्बलन कौशल की परिभाषा Definition of Reinforcement Skills
- स्किनर के अनुसार :- पुनर्बलन वह स्थिति होती है, जो छात्र-छात्रा की प्रतिक्रिया में वृद्धि करती है।
- एनसीईआरटी के अनुसार:- शिक्षक अथवा सहपाठी द्वारा यदि शिक्षक के मध्य पुनर्बलित किया जाए तो दोनों ही लगभग समान रूप से प्रभावशाली होते हैं।
- ओलिवर के अनुसार :- वीडियो पुनर्बलन पर्यवेक्षक द्वारा दिए गए मौखिक पुनर्बलित से अधिक प्रभावशाली होता है।
- पलवर्ग और मॉरिस के अनुसार :- वीडियो पुनर्बलन ऑडियो पुनर्बलन से अधिक प्रभावशाली है।
पुनर्बलन कौशल पाठ योजना Reinforcement Skills Lesson Plan
अगर हम बात करें किसी भी कक्षा शिक्षण के दौरान कोई अध्यापक शिक्षण कर रहा है अगर वह कक्षा में बालको से कोई प्रश्न पूछता है तो बहुत से बालक ऐसे होते हैं जो अपना पूरा हाथ ऊपर उठाते हैं, कुछ बालक ऐसे होते हैं जो हाथ ऊपर उठाते हैं
और नीचे करते हैं और कुछ बालक थोड़ा ही अपना हाथ ऊपर उठाते हैं, जबकि कुछ बालक अपना हाथ ऊपर उठाते ही नहीं वह अपना सर भी नीचे झुका लेते हैं, जबकि कुछ बालक ऐसे भी होते हैं जो बार-बार अपना हाथ ऊपर उठाते हैं और बार-बार खड़े होने के लिए प्रेरित होते हैं, ऐसा इसलिए होता है,
कि जो बालक बार-बार अपना हाथ ऊपर उठा रहा है उसको उत्तर अच्छे से मालूम है और जो हाथ ऊपर उठाकर नीचे कर लेते हैं और थोड़ा कम हाथ उठा रहे हैं, उन्हें उत्तर तो शायद मालूम है, लेकिन वह निश्चित नहीं होते हैं, जबकि जो बालक बालिकाएँ सर नीचे दबाये हैं या तो उनको उत्तर मालूम नहीं होता है या फिर वह उत्तर देने में संकोच महसूस करते हैं,
इस स्थिति में अध्यापक को इन बालक बालिकाओं को पहले उठाना चाहिए जो उत्तर दे नहीं रहे हैं या फिर सर नीचे करके बैठे हुए हैं, अगर ऐसे बालक बालिकाएँ गलत उत्तर भी देते हैं तो उनके उत्तर को स्वीकार कर लेना चाहिए तथा उनको बताना चाहिए कि आप अगर इस प्रकार से उत्तर देते तो और अच्छा होता ऐसा कर देने मात्र से उनकी जो भावना है
जो उत्तर देने की बलवती भावना है वह प्रबल हो जाएगी और अगली बार से वह उत्तर देने के लिए तैयार रहेंगे। इसके साथ ही अध्यापक (Teacher) की कुछ ऐसी भाव भांगिमायें भी होती हैं, जिनके द्वारा बालक सकारात्मक प्रभाव को ग्रहण करता है अध्यापक के द्वारा हंसना मुस्कुराना तथा सिर हिलाना इससे भी बालक बालिकाएँ पुनर्बलित हो जाते हैं।
पुनर्बलन कौशल के प्रकार Type of Reinforcement Skills
पुनर्बलन कौशल को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है:-
- सकारात्मक या धनात्मक पुनर्बलन
- नकारात्मक या ऋणात्मक पुनर्बलन
इन दोनों प्रकार के पुनर्बलन के भी दो-दो रूप होते हैं जैसे कि शाब्दिक पुनर्बलन और अशाब्दिक या फिर सांकेतिक पुनर्बलन। जो भी सकारात्मक या धनात्मक पुनर्बलन होता है वह पुनर्बलन संकेतों के माध्यम से हो अर्थात अशाब्दिक हो या फिर वह शाब्दिक हो वह कक्षा में छात्र तथा छात्राओं की उपलब्धि को बढ़ावा देता है और यह केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं अपितु विभिन्न कार्य क्षेत्र में भी लागू होता है।
वहीं दूसरी प्रकार से जो ऋणात्मक या फिर नकारात्मक पुनर्बलन होता है, वह छात्रों की उपलब्धियों को बढ़ावा न देने का काम करता है जिससे छात्र-छात्राएं किसी भी कार्य के प्रति उत्तेजित नहीं होते अभिप्रेरित नहीं होते हैं, किंतु कई बार नकारात्मक पुनर्बलन सकारात्मक पुनर्बलन में परिवर्तित हो जाता है, जैसे की कोई छात्र कितना भी समझाओ अपनी बुद्धिमत्ता या फिर विभिन्न प्रकार के अनावश्यक रूप पाले हुए रहता है और वह समझता नहीं है विभिन्न प्रकार की हरकतें करता है,
तब ऐसे विद्यार्थी को दंडित करने के अलावा कुछ नहीं रह जाता और दंडित होने के पश्चात वह विद्यार्थी इतना बदल जाता है, कि आगे चलकर एक अच्छा विधार्थी और एक अच्छा अधिकारी बन जाता है। इस प्रकार से ऐसे विभिन्न प्रकार के संस्मरण हमारे समाज में देखने को मिल जाते हैं, कि नकारात्मक पुनर्बलन भी सकारात्मक पुनर्बलन का रूप ले लेता है।
पुनर्बलन कौशल के घटक Component of Reinforcement Skills
- प्रशंसात्मक शब्दों का प्रयोग :- पुनर्बलन कौशल का यह पहला घटक है, जिसके अंतर्गत शिक्षा का किसी भी कार्य को अच्छा करवाने के लिए और शिक्षण कार्य को अधिक प्रभावशाली और छात्र शिक्षकों के द्वारा पढ़ाए गए विषय वस्तु को अधिक से अधिक सीख पाए इसके लिए प्रशंसात्मक शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं जैसे कि अच्छा है, हां हां ठीक है सही उत्तर देने पर मुस्कुराना सर हिलाना हाथ के संकेत देना आदि इससे बालक बालिकाएँ प्रोत्साहित होते हैं।
- छात्र के उत्तर की पुनरावृत्ति :- कक्षा शिक्षण के दौरान शिक्षक के द्वारा छात्र-छात्राओं को सही उत्तर दोहराने के लिए कहना चाहिए तथा गलत उत्तर को संशोधित करना चाहिए तथा मुस्कुराते हुए उनको समझाना चाहिए।
- सकारात्मक पुनर्बलन का प्रयोग:- शिक्षक को कक्षा शिक्षण के दौरान सकारात्मक पुनर्बलन का प्रयोग करना चाहिए शिक्षक के हाव-भाव जैसे छात्रों को आशाभरी निगाह से देखना शिक्षक की प्रसन्न भाव मुद्रा होना आदि।
- छात्र के उत्तर को श्यामपट्ट पर लिखना:- छात्र के उत्तर को श्यामपट्ट पर लिखना चाहिए, जिससे छात्रों में उत्साह आता है और सीखने की प्रेरणा मिलती है और छात्र अपने आप में ही आनंदित होते हैं कि उनके उत्तर सही है।
- हतोत्साहित शब्दों का प्रयोग न करना:- शिक्षक को कक्षा शिक्षण के दौरान ऐसी शब्द शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिससे बालक की जो प्रबलती इच्छा उत्तर देने की है वह दब जाए शिक्षकों को सोचकर बोलिए, नहीं गलत उत्तर है, जरा ठहरो आदि शब्दों का प्रयोग कक्षा शिक्षण के दौरान नहीं करना चाहिए।
- नकारात्मक पुनर्बलन का प्रयोग:- छात्रों के द्वारा अगर गलत उत्तर दिया जाता है या फिर कोई अनुचित बात कही जाती है, तो कक्षा अध्यापक को उस बात को स्वीकार करना चाहिए, उनको घूर के देखना, नकारात्मक सिर हिलाना, डांटना आदि पुनर्बलन कौशल का उपयोग नहीं करना चाहिए इससे छात्र-छात्राओं पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है।
- पुनर्बलन का उचित अनुप्रयोग :- पुनर्बलन का प्रयोग आवश्यकता से अधिक नहीं करना चाहिए, जिस स्थान पर प्रयोग जरूरी है वहीं पर ही पुनर्बलन का प्रयोग किया जाना चाहिए जैसे कि सामान्य उत्तरों के लिए भी पुनर्बलन का प्रयोग नहीं कर सकते अगर कक्षा अध्यापक ने पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है तो छात्र ने जवाब दिया राजेश ऐसी स्थिति में कक्षा अध्यापक के द्वारा शाबाश वाह-वाह आदि पुनर्बलन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- नकारात्मक शाब्दिक पुनर्बलन का प्रयोग:- जो नकारात्मक शब्द है उनका प्रयोग नहीं करना चाहिए जैसे कि बिल्कुल गलत, रुको, नहीं, बेवकूफ, तुम गधा हो, तुम तो गोबर गणेश हो, तुम्हारे दादा ने पढ़ा है आदि शब्दों का प्रयोग अध्यापक को शोभा नहीं देता।
दोस्तों यहाँ पर आपने पुनर्बलन कौशल पाठ योजना (Reinforcement Skills Lesson Plan) पुनर्बलन कौशल क्या है? पुनर्बलन कौशल के प्रकार के साथ ही आपने पुनर्बलन कौशल के घटक पढ़े। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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