पाठ्यचर्या क्या है पाठ्यचर्या का महत्व what is syllabus

पाठ्यचर्या क्या है पाठ्यचर्या का महत्व what is syllabus 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख पाठ्यचर्या क्या है पाठ्यचर्या का महत्व (what is syllabus) में। दोस्तों यहाँ पर आप पाठ्यचर्या क्या है? पाठ्यचर्या का महत्व आदि समझ पायेंगे। तो आइये शुरू करते है यह लेख पाठ्यचर्या क्या है पाठ्यचर्या का महत्व :- 

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पाठ्यचर्या क्या है पाठ्यचर्या का महत्व


पाठ्यचर्या क्या है what is syllabus 

पाठ्यचर्या की बात की जाए तो पाठ्यचर्या पाठ्यक्रम (Curriculum) के लिए एक नवीन शब्द माना जाता है, इसका प्रयोग पाठ्यक्रम के ठीक प्रकार से क्रमबद्ध स्पष्ट और विषयवार और विस्तृत स्वरूप से संबंधित होता है। पाठ्यचर्या पाठयक्रम के उस पक्ष को माना जाता है, जिसे कक्षा में प्रयोग के लिए व्यवस्थित किया जाता है, इसमें विषयवस्तु के अलावा शिक्षकों छात्रों तथा प्रकाशकों के उपयोग के लिए सहायक सामग्री के साथ ही कार्यविधि आदि निर्देश भी सम्मिलित किए जाते हैं। 

गुण महोदय के अनुसार कहा गया है, कि पाठ्यचर्या एक कार्यालयी संदर्शिका होती है, जो किसी विषय शिक्षण के सहायता के लिए किसी विद्यालय विशेष या फिर व्यवस्था हेतु तैयार की जाती है। 

पाठयचर्या में अापेक्षित परिणाम अध्ययन सामग्री की प्रकृति एवं विस्तार तथा उपयुक्त सहायक सामग्री और पाठय पुस्तकों के साथ-साथ अनुपूरक पुस्तकों शिक्षण विधियाँ सहगामी क्रियाओ तथा उपलब्धि मापन के सुझाव भी सम्मिलित होते हैं। 

पाठयचर्या शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थों में किया जाता है, इसकी अवधारणा को समझने से पहले पाठ्यचर्या के प्रत्येक पक्ष पर विचार किया जाता है। पाठ्यचर्या शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थों में किए जाने के बाद इसमें सिद्धांतीकरण विधि उद्देश्य और उपयोगिता आदि तत्वों का प्रवेश होता है। किसी एक उदाहरण द्वारा हम समझ सकते हैं, की किस स्तर से ही बालकों को पर्यावरणीय शिक्षा प्रदान करना चाहिए इस तथ्य को पाठ्यचर्या के रूप में प्रस्तुत करने के लिए पर्यावरण की जीवन में उपयोगिता, पर्यावरण की मानव जीवन में आवश्यकता, पर्यावरण शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षण विधियाँ तथा पर्यावरण शिक्षा प्रदान करने के क्रम संबंधित विभिन्न पहलुओं को समाहित किया जाता है। 

इस प्रकार से स्पष्ट हो जाता है, कि पाठ्यचर्या एक ऐसी अवधारणा होती है, जिसमें प्रत्येक विषय के संपूर्ण पहलुओं पर विचार किया जाता है और विद्वानों के द्वारा अग्रलिखित रूप में परिभाषित किया जाता है:- 

पाठयचर्या का अर्थ Meaning of syllabus 

पाठयचर्या का अर्थ उस विषय वस्तु या फिर पाठयसामाग्री से होती है जो किसी विद्यालय या विश्वविद्यालय में निश्चित समय अंतराल के अंतर्गत किसी शिक्षक के द्वारा किसी निश्चित कक्षा के छात्र - छात्राओं को पढ़ाई जाती है, अर्थात कहा जा सकता है कि छात्रों को पढ़ाई जाने वाली निश्चित विषय वस्तु की सूची पाठ्यचर्या कहलाती है। 

पाठयचर्या की परिभाषा Definition of Syllabus 

  1. प्रो. एस. के. दुबे के अनुसार :- शिक्षण वस्तुओं या शिक्षण विषयों की और से व्यवस्थित रूपरेखा से कुछ व्यवस्थित क्रम से होता है, जो कि उस विषय की उपयोगिता आवश्यकता और महत्व से जुड़ा हुआ होता है इसके अंतर्गत विद्यालय शिक्षक और समुदाय के उत्तरदायित्वों का समावेश होता है।
  2. श्रीमती आर के शर्मा के शब्दों में :- पाठयचर्या का आशय किसी विद्यालय या शैक्षिक विषय की उस विस्तृत रूपरेखा से माना जाता है, जिसमें विद्यालय शिक्षक शिक्षार्थी और समुदाय के उत्तरदायित्व के निर्माण के साथ-साथ छात्र के सभी प्रकार के विकास के अध्ययन तत्व समाहित होते हैं। 

पाठ्यचर्या का महत्व Importance of Syllabus 

  1. व्यापकता :- पाठयचर्या में व्यापकता का दृष्टिकोण होता उनको विभिन्न प्रकार से प्रदान करने के उद्देश्य विधियाँ सिद्धांत आदि होते हैं। इसमें विषय के प्रत्येक पक्ष को व्यापक रूप से स्पष्ट भी किया जाता है, इसलिए पाठयचर्या की अवधारणा में प्रतिक्रिया को स्पष्ट करते हुए योजना प्रस्तुत की जाती है।
  2. विषय की उपयोगिता :- पाठयचर्या के अंतर्गत विषय की उपयोगिता पर भी ध्यान दिया जाता है। आज से बहुत समय पहले पर्यावरण अध्ययन को प्राथमिक स्तर की पाठ्यचर्या में स्थान नहीं दिया गया था, किंतु वर्तमान समय में प्राथमिक स्तर पर इसको महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। पाठयचर्या के द्वारा यह स्पष्ट भी होता है, कि पर्यावरणीय अध्ययन की वर्तमान समय में प्राकृतिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण उपयोगिता है, इसलिए प्राथमिक स्तर से ही पर्यावरण की शिक्षा देनी चाहिए।
  3. संसाधनों की उपलब्धता पर विचार :- पाठयचर्या के अंतर्गत संसाधनों की उपलब्धता पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। किसी भी विषय को पाठ्यचर्या में सम्मिलित करने से पहले उसके लिए उपलब्ध संसाधन विद्यालय में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं या नहीं हैं अगर संसाधन उपलब्ध हो जाते हैं, तो उसे तत्व को पाठ्यचर्या में स्थान मिलता है और यदि यह संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते हैं तो उसे पाठ्यचर्या में स्थान नहीं मिल पाता है।
  4. छात्रों का स्तर :- छात्रों के स्तर का भी पाठ्यचर्या में महत्वपूर्ण स्थान होता है। पाठ्यचर्या में छात्रों के स्तर के अनुसार पाठय सामग्री का उपयोग किया जाता है, यदि छात्र प्रतिभाशाली होते हैं, तो उनके लिए पाठ्यचर्या एक अलग निश्चित प्रकार की होती है तथा पाठ्यचर्या का स्वरूप उन छात्रों के लिए आवश्यक और पृथक होता है, जो मंदबुद्धि और सामान्य होते हैं। पाठयचर्या में छात्रों की योग्यता और स्तर का विशेष ध्यान दिया जाता है।
  5. शिक्षकों के उत्तरदायित्व की व्यवस्था:- पाठयचर्या के अंतर्गत शिक्षक की भूमिका प्रमुख होती है। पाठ्यचर्या को पूरा करने में शिक्षक अपनी भूमिका किस प्रकार से अदा करेंगे, इस पर ध्यान दिया जाता है, जैसे की बाल केंद्रित पाठ्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों की एक सहयोगी भूमिका होती है, जबकि शिक्षक केंद्रित पाठ्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों की महत्वपूर्ण और प्रमुख भूमिका मानी जाती है।
  6. सामाजिक आकांक्षा का होना :- पाठ्यचर्या के अंतर्गत सामाजिक आकांक्षा जरूर होनी चाहिए। प्राचीन काल में समाज की आकांक्षा आदर्शवादिता और अध्यात्मिकता विकास से संबंधित हुआ करती थी, लेकिन पाठयचर्या का स्वरूप आदर्शवादी व्यवस्था पर आधारित था। आज के समय में समाज की आकांक्षा में परिवर्तन हुआ है। समाज की आकांक्षा वर्तमान समय में प्रयोजनवाद से जुड़ी हुई है। इस प्रकार वर्तमान पाठ्यचर्या में प्रयोजनवादी दर्शन और विचारधारा देखने को मिलती है। अतः सामाजिक आकांक्षा का समावेश सदैव पाठयचर्या में मिलता है। 
  7. राष्ट्रीय आकांक्षा का समावेश:- राष्ट्रीय आकांक्षा भी पाठ्यचर्या का महत्वपूर्ण भाग होती है। अनेक देशों में पाठ्यचर्या का स्वरूप अलग-अलग होता है, जिसका सबसे प्रमुख कारण राष्ट्र की आकांक्षा होती है। उदाहरण के तौर पर हम समझ सकते हैं, कि भारतीय विद्यालयों के लिए पाठ्यचर्या का स्वरूप नैतिकता परंपराओं और सांस्कृतिक व्यवस्था से जुड़ा हुआ होता है। वही हम बात करें पाश्चात्य देशों की तो वहाँ पर पाठ्यचर्या का स्वरूप यथार्थवादी और स्वहित से संबंधित होता है, क्योंकि पाठ्यचर्या को राष्ट्र की आकांक्षा को पूर्ण करने का साधन माना जाता है।
  8. निर्देशन परामर्श का समावेश :- निर्देशन और परामर्श की अवधारणा का समावेश भी पाठयचर्या में किया जाता है। पाठ्यक्रम में शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के लिए शिक्षा के उत्तरदायित्व संबंधित दिशा निर्देश की व्यवस्था होती है, जैसे कि अनुशासन में दंड के स्थान पर स्व अनुशासन की भावना का विकास विद्यालय पाठ्यचर्या का प्रमुख अंग होता है। इसके लिए छात्रों के साथ शिक्षक के व्यवहार संबंधित व्यवस्था को भी परामर्श निर्देशन का माध्यम बताया जाता है, अर्थात शिक्षक द्वारा छात्रों में उचित निर्देशन और मार्गदर्शन के द्वारा स्वअनुशासन की भावना का विकास किया जाता है।
  9. दिशा निर्देश की व्यवस्था:- पाठयचर्या में दिशा निर्देश की भी व्यवस्था होती है। इसमें छात्रों के सर्वाधिक विकास के लिए संपन्न की जाने वाली सभी प्रकार की क्रियाएँ लिखी हुई होती हैं। इसमें छात्रों को मानसिक सामाजिक नैतिक शारीरिक तथा आध्यात्मिक दृष्टि से मजबूत किस प्रकार से बनाएँ बातों का समावेश होता है, तथा देश के लिए योग्य नागरिकों का निर्माण कैसे करें? आदि का पाठयचर्या में महत्वपूर्ण स्थान होता है।
  10. सार्वजनिक हित का आधार:- पाठयचर्या में सार्वजनिक हित की भावना भी देखने को मिलती है। पाठयचर्या का निर्माण किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं होता है। यह एक व्यापक क्षेत्र के शैक्षिक कार्यक्रम का प्रतिनिधित्व करती है। पाठयचर्या में समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांत का समावेश होता है, अर्थात पाठयचर्या एक प्रकार की आचार संहिता होती है, जो कि शिक्षक शिक्षार्थी के माध्यम से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित बनाकर समाज एवं राष्ट्र का हित करती है। समाज के उच्च गुणों से संयुक्त नागरिकों का निर्माण करके अप्रत्यक्ष रूप से सर्वजनिकता की अवधारणा को प्राप्त करने का कार्य पाठ्यचर्या द्वारा किया जाता है। 

दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख पाठ्यचर्या क्या है पाठ्यचर्या का महत्व (what is syllabus) पाठयचर्या का अर्थ में। यहाँ आपने कई तथ्य पढ़े, आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। 

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