पीडब्ल्यूडी अधिनियम 1995 क्या है Pwd act 1995 in hindi
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Pwd अधिनियम 1995 क्या है What is Pwd act 1995
हमारे समाज में हम अक्सर देखते हैं, कि कई लोग ऐसे होते हैं जो शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होते और समान्य लोगों से अलग दिखते हैं और उनके अनुसार वह सभी प्रकार की क्रियाकलाप भी नहीं कर पाते हैं ऐसे लोगों को विकलांग कहा जाता है और इन विकलांग व्यक्तियों के लिए एशियाई और पेसिफिक क्षेत्र की दृष्टी से एक अधिनियम लाया गया जिसको विकलांग जन अधिनियम या Pwd अधिनियम 1995 कहा जाता है।
इस अधिनियम के अंतर्गत प्रावधान किया गया, कि शारीरिक रूप से जो भी अक्षम बालक बालिकाएं हैं उनको हर एक क्षेत्र में जिस प्रकार समान्य बालकों को अवसर प्रदान होते हैं उनको भी अवसर प्रदान किए जाएं ताकि उन विकलांग बालक बालिकाओं को विकलांगता एक अभिशाप ना लगे तथा उन बालक बालिकाओं को समाज की मुख्य धारा के साथ जोड़ा जाए इसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों सहयोग कर रहे हैं और प्रयास कर रहे हैं।
पीडब्ल्यूडी अधिनियम 1995 में 7 विकलांगता 7 Type of Disability in Pwd Act 1995
पीडब्ल्यूडी अधिनियम के अध्याय 1 में सात प्रकार की विकलांगताओं के बारे बताया गया है और चिन्हित किया गया है:-
- दृष्टि बाधित
- अल्प दृष्टि
- कुष्ठ रोग से उपचारित
- श्रवण दोष
- चलन विकलांगता
- मानसिक रुग्णता
- मानसिक मंदिता
विकलांग व्यक्ति अधिनियम 1995 के क्या प्रावधान है Provision of Pwd act 1995
इस अधिनियम दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 1995 की विशेषताएँ के अंतर्गत अक्षम बालक बालिकाओं के लिए निम्न प्रावधान किए गए थे:-
- अक्षमता की स्थिति को परिभाषित करना :- इस प्रावधान के अंतर्गत यह सुनिश्चित करना था, कि किस सीमा तक व्यक्ति को विकलांग घोषित किया जाए उसकी क्या सीमा होनी चाहिए विभिन्न प्रयोग और अनुसंधान करने के बाद तथा रिसर्च करने के बाद यह माना गया कि 60 डेसीबल की आवृत्ति को ना सुन पाना श्रवण विकलांगता माना जा सकता है इसी प्रकार से गति कौशल दृष्टि संबंधी एवं कुष्ठ रोग संबंधी अक्षमता का भी प्रावधान किया गया है। शारीरिक विकलांगता को पहचान कर उसको अलग करना तथा उसको परिभाषित करना इस प्रावधान के अंतर्गत आता है।
- समितियों का निर्माण :- विकलांग बालक बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न समितियों का निर्माण किया गया। केंद्र और राज्य सरकार के समाज कल्याण मंत्री को इसका अध्यक्ष बनाया गया, जबकि विभिन्न सचिव और शिक्षा स्वास्थ्य औद्योगिक विकास के अधिकारियों को भी इसमें सम्मिलित किया गया तथा इस बात पर परिकल्पना की गई कि विकलांग छात्र-छात्राओं का सर्वाधिक विकास किस प्रकार से किया जा सके।
- पृथक शैक्षिक व्यवस्था:- जो भी विकलांग बालक बालिकाएँ हैं उनके लिए अलग से शिक्षा व्यवस्था का भी प्रावधान किया गया। इनके लिए अलग से विद्यालय खोले जाएं और अनुकूलित वातावरण तैयार किया जाए, जो बालक बालिका पैरों से विकलांग है उनके लिए रिक्शा विद्यालय के अंदर हो उनके लिए प्रशिक्षित शिक्षक के द्वारा शिक्षण कराया जाए तथा प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। विद्यालय की संरचना इस प्रकार से बनाई जाए जो शारीरिक रूप से अक्षम बालकों के लिए अनुरूप हो।
- रोजगार के अवसर :- राज्य तथा केंद्र का यह उत्तरदायित्व रहेगा, कि जो शारीरिक रूप से अक्षम बालक बालिकाएं हैं उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराएँ जिन क्षेत्रों में अक्षम बालक बालिकाओं को रोजगार मिल सकता है सरकार उस क्षेत्र को और अधिक विकसित करें।
- आरक्षण व्यवस्था:- केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के अंतर्गत जो गैर सरकारी और सरकारी नौकरियां हैं उनमें विकलांग बालकों को आरक्षण प्रदान किया जाए। वर्तमान में सरकार के द्वारा नौकरियों में विकलांग व्यक्तियों के लिए एक निश्चित आरक्षण है, जबकि विद्यालयों में भी इनकी आरक्षित सीटें है।
- यात्रा संबंधी सुविधाएं:- जो भी विकलांग बालक बालिकाएं हैं उनके लिए यात्रा किराए में भी छूट का प्रावधान है तथा सरकारी ट्रेनों में उन्हें मुक्त यात्रा करने का प्रावधान लागू किया गया है, ताकि उनको किसी प्रकार की असुविधा न हो।
- उपकरण:- शारीरिक रूप से जो अक्षम बालक बालिकाएं हैं, उनके लिए विभिन्न ऐसे उपकरणों की व्यवस्था की जाए, जिनकी मदद से वह चल सके जो उनकी शारीरिक अक्षमता को कम कर सकें जैसे जो पैरों से नहीं चल पाते हैं उनके लिए व्हीलचेयर की उपलब्धता जो सुन नहीं पाते हैं उनके लिए श्रवण यंत्र की उपलब्धता आदि।
- स्वास्थ्य सुविधाएँ :- विकलांग बालक बालिकाओ को उनके विद्यालय मैं निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी वर्तमान समय में सरकारों के द्वारा विभिन्न प्रकार से कैंप लगाकर उनका परीक्षण भी किया जाता है तथा चिकित्सक द्वारा समय-समय पर उनकी अक्षमता की जांच तथा उसे दूर करने का प्रयास भी किया जाता है जो भी स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी वह अक्षम बालक बालिकाओं के लिए पूरी तरीके से निशुल्क होगी।
- राज्य स्तर पर प्रयास :- राज्य के भी उत्तरदायित्व और कर्तव्य होते हैं, कि वह अपने राज्य के विकलांग बालक बालिकाओं की समुचित विकास के लिए विभिन्न प्रकार की क्रियाकलाप करें उनको निशुल्क सभी प्रकार की सहायताएँ शिक्षण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करें, उनके लिए ऐसे प्रोग्राम चलाएं, जिनके द्वारा उनकी अक्षमता उनको अभिशाप ना लगे। विभिन्न प्रकार की प्रबंधन समितियां का निर्माण करें तथा यह समितियां सर्वागीण विकास पर काम करें जैसे कि विद्यालय में भर्ती होने वाले बालिकाओं बालकों की रिपोर्ट और जानकारी एकत्रित करना, अक्षम बालक बालिकाओं के विद्यालय में भर्ती के नियम उनका पाठ्यक्रम अध्यापक के गुण आदि का निश्चित करना मनोवैज्ञानिकों मेडिकल देख-रेख करना विशेष शिक्षा के लिए विशेष शिक्षकों का प्रशिक्षण आदि।
- कल्याणकारी योजनाएँ :- इस अधिनियम के द्वारा विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं भी विकलांग बालक बालिकाओं के लिए चलाने का प्रावधान है। पेंशन योजना के तहत विकलांग व्यक्ति की मासिक आय रुपए 255 से कम है तो उनको रुपए 125 प्रति माह की दर से भरण पोषण अनुदान प्रदान किया जाएगा, जिससे लगभग 1,40 लाख व्यक्ति लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अलावा छात्रवृत्ति योजना भी लगातार चलती रहती है, जिनमें अभिभावकों की मासिक आय अगर 2000 से कम है, तो कक्षा 1 से 5 के विकलांग बालक बालिकाओं को रुपए 25 प्रतिमाह कक्षा 6 से 8 को रुपए 40 प्रतिमाह और कक्षा 9 से 12 में रुपए 85 प्रतिमाह के साथ ही स्नातक कक्षाओं में रुपए 125 प्रतिमाह और स्नातकोत्तर तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रम में अध्यनरत छात्रों के लिए 170 रुपए प्रतिमाह की दर से छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जाएगी। इसी तरह अन्य सहायताऐं भी लगातार प्रदान की जाती रहती है जैसे की रू 1000 की कीमत तक के अंग तथा उपकरण उनको उपलब्ध कराए जाएंगे, जिनकी मासिक आय 300 रूपये से कम है। विकलांग व्यक्तियों की शादी के लिए भी कई प्रावधान जैसे, कि अगर कोई जोड़े में से एक विकलांग व्यक्ति है तो उस जोड़े को 11000 रुपए से पुरुस्कृत किया जाएगा तथा पति-पत्नी दोनों ही विकलांग है तो ₹14 हजार की धनराशि अनुदान के रूप में दी जाएगी, इसके साथ ही अन्य छोटे व्यवसायों के लिए भी प्रोत्साहन राशि प्रदान दी जाती रहती है, इसमें 5000 से लेकर ₹20000 तक का प्रावधान है।
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