पाठ्यक्रम की आवश्यकता एवं महत्वUtility of Curriculum
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख पाठ्यक्रम की आवश्यकता एवं महत्व (Utility of Curriculum) में। दोस्तों यहाँ पर आप पाठ्यक्रम की आवश्यकता, पाठयक्रम की उपयोगिता के साथ पाठयक्रम की विशेषताएँ पढ़ेंगे,
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पाठ्यक्रम की आवश्यकता Utility of Curriculum
यह बात तो निश्चित है, कि पाठ्यक्रम (Curriculum) ही वह एक माध्यम होता है, जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है,
इसीलिए पाठ्यक्रम की व्यवस्था की गई है। यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण बिंदु बताये गए हैं, जिनके माध्यम से पाठ्यक्रम की उपयोगिता के बारे में पाठ्यक्रम की आवश्यकता के बारे में आप समझ पाएंगे :-
- शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति:- शिक्षा की व्यवस्था पाठ्यक्रम पर निर्भर होती है, इसीलिए पाठ्यक्रम का सही नियोजन भी करना पड़ता है, क्योंकि शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति करना तभी संभव होता है, जब पाठ्यक्रम ठीक प्रकार से नियोजित किया गया हो, इसलिए कहा जा सकता है, कि शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए पाठ्यक्रम की आवश्यकता अवश्य होती है।
- शिक्षण प्रक्रिया का व्यवस्थीकरण :- पाठ्यक्रम के द्वारा ही शिक्षण प्रक्रिया का व्यवस्थीकरण होता है, अर्थात पाठ्यक्रम में ठीक प्रकार से स्पष्ट रूप से यह लिखा होता है, कि शिक्षा के किस स्तर पर विद्यालय में कौन-कौन सी क्रियाओं और कौन-कौन से विषयों को पढ़ाया जाना चाहिए, किस प्रकार पाठ्यक्रम विद्यालय में कार्यक्रम की रूपरेखा बनाते हैं और शिक्षा की प्रिक्रिया को व्यवस्थित बनाए रखते है।
- क्या और कितना ज्ञान:- पाठ्यक्रम शिक्षकों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होते हैं, क्योंकि पाठ्यक्रम के द्वारा ही शिक्षक को यह पता चलता है, कि उन्हें किस स्तर पर कितना ज्ञान देना है? बच्चों को क्या? और कितना पढ़ना है? यह सब उनको पाठ्यक्रम के द्वारा ही पता चलता है, इसलिए पाठ्यक्रम के द्वारा ही शिक्षक एक निश्चित अवधि में शिक्षार्थी को कितना पढ़ाना है? कैसे पढ़ना है? सब कुछ जान लेता है और उसको पूरा कर लेता है।
- समय और शक्ति का उपयोग :- पाठ्यक्रम की आवश्यकता इसलिए भी होती है, ताकि समय और शक्ति का समुचित उपयोग किया जा सके। पाठयक्रम के द्वारा ही यह पता चलता है, कि कितने समय में हमें किस स्तर के छात्र और छात्राओं को क्या सिखाना है, इससे समय और शक्ति दोनों की ही बचत होती है।
- ज्ञानोपार्जन :- ज्ञानोपार्जन करने में भी पाठ्यक्रम छात्रों के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। यह बात सही है, कि ज्ञान एक है परंतु मानव ने अपनी सुविधा के अनुसार उसके अनेक भाग कर दिए हैं, जैसे कि साहित्य, गणित, विज्ञान के साथ ही सामाजिक विज्ञान आदि और इस ज्ञान के विभिन्न भागों में ज्ञानार्थ पाठ्यक्रम की रचना भी हुई है, इसीलिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है, कि हमें किस विषय का और कितने समय में ज्ञान का अर्जन करना है।
- पाठ्य पुस्तकों का निर्माण :- पाठ्यक्रम के आधार पर पाठय पुस्तकों का निर्माण होता है, पाठक पुस्तकों में वह सामग्री रखी जाती है, जो किसी एक विद्यालय के स्तर के पाठ्यक्रम के अनुकूल होती है। पाठयक्रम में होने पर पुस्तकों में अनावश्यक बातें नहीं होती हैं। पाठ्यक्रम में केवल वही बातें होती हैं, जो छात्र-छात्राओं को एक विशेष स्तर के अनुसार पढ़ाया जाना है।
- मूल्यांकन में सरलता :- शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति में सबसे महत्वपूर्ण होता है। मूल्यांकन और मूल्यांकन किसी स्तर के पाठ्यक्रम के आधार पर ही उस स्तर के छात्र-छात्राओं के लिए हो पाता है। छात्र-छात्राओं की योग्यता का मूल्यांकन करने में पाठ्यक्रम की आवश्यकता बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
- नागरिकों का निर्माण :- शिक्षा का उद्देश्य उपयोगी और आदर्श नागरिकों का निर्माण करना भी होता है। आदर्श और उपयोगी नागरिक वही होते हैं, जिसकी शक्तियाँ पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं और वह कानून का पालन करके न्याय के अनुकूल रहकर अपना आचरण प्रदर्शित करता है, इसीलिए पाठ्यक्रम में विभिन्न प्रकार की ऐसी बातें भी समाहित की जाती हैं, जो मनुष्य के आचरण को सुधारता है उनके चरित्र को मजबूत बनाता हैं।
- व्यक्तित्व का विकास :- समस्त बालकों के व्यक्तित्व के विकास की बात करें तो पाठ्यक्रम बहुत ही उपयोगी होता है, क्योंकि बालक के जो नैसर्गीक गुण होते हैं, जो शक्तियाँ होती हैं, उनका समुचित दिशा पाठ्यक्रम के माध्यम से ही प्राप्त होती है। बिना नैसर्गीक गुणों और शक्तियों के विकास के बिना व्यक्ति का समुचित विकास संभव नहीं हो पाता है।
पाठ्यक्रम की विशेषताएँ Features of Curriculum
- एक अच्छे पाठ्यक्रम की निम्नलिखित विशेषताएँ हो सकती है:-
- एक अच्छा पाठ्यक्रम वह होता है, जिसमें व्यक्ति या समाज से संबंधित अनुभवों का समावेश किया गया हो।
- पाठ्यक्रम में वे सभी बातें समाहित अवश्य की जानी चाहिए, जो जीवन की आवश्यकताओं से जुड़ी हुई होती हो।
- पाठ्यक्रम जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे, कि स्वस्थ मस्तिष्क आदि से भी सम्बंधित होना चाहिए।
- पाठ्यक्रम में शिक्षा के सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों ही पक्षों को उचित स्थान प्राप्त होना चाहिए, क्योंकि जीवन में उस सिद्धांत का कोई मूल्य नहीं जिसको व्यवहार में ही नहीं लाया जा सके।
- एक अच्छा पाठ्यक्रम वह कहलाता है, जिसमें बालकों के सामान्य शैक्षिक स्तर को ध्यान में रखा जाता है, जैसे की छोटी कक्षाओं में बालक साहित्यिक कहानियों को नहीं समझ पाते हैं और ऊंची कक्षाओं में सरल पाठ अच्छा नहीं लगता।
- पाठ्यक्रम शिक्षा के सभी उद्देश्यों पर आधारित होना चाहिए ऐसा नहीं होना चाहिए, कि उन उद्देश्यों की पूर्ति संभव ही ना हो सके।
- पाठ्यक्रम लचीला होना चाहिए, क्योंकि हर वक्त जीवन के सिद्धांत और मान्यताएँ एक नहीं रहती हैं, वह वातावरण के अनुसार परिवर्तनशील रहती हैं, इसलिए पाठ्यक्रम लचीला होना चाहिए, जिसमें व्यक्ति वातावरण के समायोजन का उचित ध्यान रखा जा सके।
पाठयक्रम का महत्व Importance of Curriculum
मानव जीवन के विकास के लिए शिक्षा सबसे उपयुक्त और सशक्त माध्यम है और इसकी व्यवस्था करना केंद्र और राज्य का कर्तव्य होता है इसलिए विभिन्न विचारकों के द्वारा शिक्षा का व्यवस्थीकरण किया गया जिससे शिक्षा का उद्देश्य प्राप्त हो सके और सबसे पहले पाठयक्रम को स्थान दिया, जिससे शिक्षा के उद्देश्य प्राप्त होते है। पाठयक्रम का महत्व शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक होता है कियोकि हर कक्षा का एक निश्चित पाठ्यक्रम होता है, जो यह सुनिश्चित करता है की किसी कक्षा में क्या कितना और कबतक पूरा करना है वहीं पाठ्यक्रम का महत्व अच्छे नागरिकों के निर्माण में भी है, कियोकि पाठयक्रम के द्वारा ही मनुष्य में नैसर्गिक गुणों का विकास होता है। अतः कह सकते है, कि मानव जीवन के विकास में पाठयक्रम का महत्व सर्वाधिक होता है।
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