शिक्षण अधिगम के सिद्धांत नोट्स Principles of Teaching Learning Notes
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है इस लेख शिक्षण अधिगम के सिद्धांत नोट्स (Principles of Teaching Learning Notes) में।
दोस्तों यहाँ पर आप शिक्षण अधिगम क्या है? शिक्षण अधिगम के सिद्धांत, शिक्षण अधिगम के सिद्धांत का वर्गीकरण जान पायेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख शिक्षण अधिगम के सिद्धांत नोट्स :-
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शिक्षण अधिगम क्या है What is teaching learning
सीखना किसी भी प्रकार की स्थिति के प्रति प्रतिक्रिया को कहते हैं, किंतु यह प्रक्रिया स्वाभाविक नहीं होनी चाहिए बल्कि यह प्रक्रिया किसी के परिणाम स्वरुप या किसी के माध्यम से सीखी हुई होनी चाहिए इसी प्रकार से हम कह सकते हैं, कि जब कोई भी व्यक्ति कोई खाने की चीज अपने हाथ पर रखकर ले जा रहा हो और कोई भूखा बंदर बैठा हो तो वह उस खाने की चीज पर झपटेगा यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है,
किंतु अगर कोई बालक भूखा है और वह उसे चीज को देखता है, तो वह उस चीज को मांगता है तो यह प्रिक्रिया अधिगम होती है। साधारण भाषा में हम कह सकते हैं, कि अधिगम का मतलब होता है 'अर्जित करना या अर्न करना' हम अपने आसपास या वातावरण से जो भी कुछ सीखते हैं और उसके अनुसार ही अपना व्यवहार प्रदर्शित करते हैं उसको हम अधिगम कहते हैं और जब इस अधिगम को हम शिक्षा के क्षेत्र में निरूपित करते हैं तो उसको शिक्षण अधिगम कहा जाता है अर्थात हम जो कुछ भी विद्यालय में सीखते हैं जो पढ़ना लिखना प्रक्रियाएँ विधियाँ आदि जो भी हम विद्यालय अपने सहपाठियों तथा शिक्षकों के माध्यम से सीखते हैं उसको शिक्षण अधिगम के अंतर्गत लाया जाता है।
शिक्षण अधिगम सिद्धांत Principles of Teaching Learning
सीखने के सिद्धांत या फिर शिक्षण अधिगम के सिद्धांत का तात्पर्य इस प्रश्न का उत्तर देते हुए वैज्ञानिक ने कहा कि सीखने के सिद्धांत से तात्पर्य एक ऐसी सैद्धांतिक व्याख्या से होता है, जिसके द्वारा सीखने की वैज्ञानिक व्याख्या होती हो और उस व्याख्या में निम्न तीन प्रकार के पर्याय उत्तर मिल जाते हैं:-
- व्यक्ति क्यों सीखता है?
- व्यक्ति कैसे सीखता है?
- व्यक्ति क्या सीखता है?
किसी संप्रत्यय को स्पष्ट करने के लिए प्रस्तुत व्याख्यात्मक कथन जो मूर्त प्रयोग के निष्कर्ष पर आधारित होते हैं को सिद्धांत की संज्ञा दी जा सकती है। अधिगम के घटित होने की स्थितियों को मनोवैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक पद्धति से निरीक्षण विश्लेषण तथा संश्लेषण के आधार पर और प्रयोग के द्वारा अध्ययन कर एक संगठित विचार दिया है, जिनको अधिगम के सिद्धांत कहते हैं। प्रोफेसर एसएस चौहान ने कहा है, कि अधिगम के सिद्धांत अधिगम की प्रक्रिया में सम्मिलित व्यवहार के यांत्रिकों की व्याख्या के प्रयास करते हैं।
अधिगम के सिद्धांत का वर्गीकरण Classification of Principles of Learning
अधिगम के सिद्धांत का वर्गीकरण दो भागों में किया गया है:-
- व्यवहारवादी सिद्धांत Vehavioral theory
- संज्ञानात्मक सिद्धांत Cognitive theory
अधिगम के जो व्यवहारवादी सिद्धांत होते हैं, उनको अधिगम के संबंघवादी सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ग के सिद्धांत सीखने की प्रक्रिया को उद्दीपक और अनुक्रिया के बीच संबंध बंधन बनाने के रूप में स्पष्ट करते हैं। इसके विपरीत संज्ञानात्मक जो सिद्धांत होते हैं वह ऐसी प्रक्रिया में उद्देश्य समझ तथा सूझ की भूमिका पर अधिक बल देते हैं।
सीखने के सिद्धांत Principle of Learning
उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत :- यह सिद्धांत उद्दीपन अनुक्रिया पर आधारित होते है अर्थात किसी उद्दीपन के फलस्वरूप प्रतिक्रिया का होना और उस प्रतिक्रिया से सीखना इस सिद्धांत से जुड़े होते है जिसके अंतर्गत निम्न सिद्धांत और उनके प्रणेता है।
- पुनर्बलन सिद्धांत :- थार्नडाइक स्नीकर्स पॉवलोक हल तथा मिलर
- अपुनर्बलन सिद्धांत :- वाटसन गुथरी ऐस्टस आदि
शास्त्रीय संज्ञानात्मक सिद्धांत :- यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है तथा बताता है, कि एक आदत के रूप में सीखना साहचर्य और प्रतिस्थापन के सिद्धांत पर आधारित है। इसके मानने वाले कोहलर पियाजे टॉलमैन वर्दीमर आदि है।
आधुनिक संज्ञानात्मक सिद्धांत:- यह सिद्धांत बताता है कि, सीखने के दौरान विद्यार्थी अपने मन में सक्रिय रूप से ज्ञान का निर्माण करने लगते हैं और वे पिछले ज्ञान और अनुभवों पर निर्माण करते इसके मानने वाले बंडूरा इसाबेल बोल्स बिडरा आदि है।
दोस्तों यहाँ पर आपने शिक्षण अधिगम के सिद्धांत नोट्स (Principles of Teaching Learning Notes) पढ़े आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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