विकलांगता के प्रकार Type of Disability

विकलांगता के प्रकार Type of disability 

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विकलांगता क्या है


विकलांगता क्या है What is disability 

विकलांगता को अक्षमता के नाम से भी जाना जाता है, जिसको हम अपने समाज परिवार तथा परिवेश में अक्सर देख सकते हैं। साधारण रूप से विकलांगता वह एक अक्षमता होती है, जिसमें कोई भी बालक या बालिका अपने शारीरिक रूप से दुर्बल या फिर मानसिक रूप से दुर्बल होते है 

तथा अन्य साधारण बालक बालिकाओं की तरह किसी भी कार्य को क्रिया को करने में असमर्थ रहते है उसको विकलांगता और उस विकलांग बालक या बालिका को विकलांग के नाम से जाना जाता है। विकलांगता प्रमुख रूप से कई लंबी बीमारियों के चलते या फिर किसी घटना के कारण शारीरिक तौर पर और 

मानसिक तौर पर देखी जाती है, जो धीरे-धीरे गंभीर तथा स्थाई रूप भी ले लेती है। ऐसे बालक बालिका जो शारीरिक रूप से या मानसिक रूप से विकलांग है, अपने आप को कमजोर, दीन और असहाय समझते हैं और समाज से उनका भाग अलग होता जाता है।

विकलांगता के प्रकार Type of Disability

विकलांगता दो प्रकार में विभाजित की गई है:- 

  1. शारीरिक विकलांगता  Physical Disability 
  2. मानसिक विकलांगता  Mental Disability 

शारीरिक विकलांगता के प्रकार Type of Phyisical Disability 

जब शरीर के अंगों के द्वारा कोई भी कार्य तथा क्रियाकलाप Activity) ठीक प्रकार से नहीं किया जाता है तो वह शारीरिक विकलांगता का दोष माना जाता है, शारीरिक विकलांगता को निम्न चार भागों में वर्गीकृत किया गया है:- 

  1. दृष्टि विकलांगता :- समाज में अक्सर देखा होगा, कि कुछ बालक बालिकाएँ ऐसे होते हैं, जिनको दिखाई नहीं देता उनमें यह दोष या तो फिर जन्म के पश्चात होता है या फिर जन्म से ही होता है। कुछ ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं, ऐसी बीमारियाँ हो जाती हैं, जिनके कारण बालक तथा बालिकाएँ अपने आंखों की रोशनी खो देते हैं या फिर वह पूर्ण रूप से देख ही नहीं पाते या फिर आंशिक रूप से नहीं देख पाते हैं, ऐसे बालक बालिका पूरी तरीके से दूसरे लोगों पर आश्रित रहते हैं और उन बालक बालिकाओं को दृष्टि विकलांग बालक बालिका कहा जाता है और यह दोष दृष्टि विकलांगता कहलाता है।
  2. वाणी विकलांगता:- आप सभी जानते हैं, कि वाणी एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति तक अपने विचारों को अपने भावों को पहुँचाता है और यही अगर वाणी किसी व्यक्ति में नहीं रहती है, तो वह अपने विचारों का आदान-प्रदान सरलता से नहीं कर पाता है, जिसको वाणी विकलांगता कहते हैं। हमने अक्सर समाज में देखा है, कि बहुत से लोग वाणी विकलांगता से ग्रसित हैं, वह बोल नहीं पाते हैं, यह विकलांगता उनमें या तो जन्म से या फिर जन्म के पश्चात विभिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं के पश्चात आ जाती है।
  3. श्रवण विकलांगता :- श्रवण विकलांगता का अर्थ होता है, कि किसी भी व्यक्ति को ठीक प्रकार से या फिर आंशिक रूप से सुनाइ ना देना इस विकलांगता के शिकार भी बहुत से व्यक्ति हो जाते हैं, कुछ व्यक्ति जन्म के पश्चात् और कुछ व्यक्ति जन्म से ही बीमारियों के कारण श्रवण विकलांगता से ग्रसित हो जाते हैं, जबकि कुछ ऐसी बीमारियाँ हैं, जो व्यक्ति में उत्पन्न होती हैं, तो उनमें पूर्ण रूप से या फिर आंशिक रूप से श्रवण विकलांगता का दोष उत्पन्न कर देती हैं।
  4. शारीरिक बाध्यता :- हाथ पैर या फिर शरीर की अन्य अंगों में जो बाध्यता होती है,उसको शारीरिक बाध्यता कहते हैं, ऐसी स्थिति में व्यक्ति किसी भी प्रकार का कार्य करने में ठीक प्रकार से सक्षम नहीं होता, हाथ पैर न होने पर चल नहीं पाता है, कोई काम नहीं कर पाता है, उसे अन्य किसी सहारे की भी आवश्यकता होती है। शारीरिक विकलांगता विभिन्न प्रकार से हो सकती है, यह जन्म से जन्म के पश्चात् या फिर जन्म के बाद कोई भी बीमारी होने के फलस्वरुप या दुर्घटना के कारण उत्पन्न हो जाती है।

मानसिक विकलांगता के प्रकार Type of Mental Disability 

समाज में सभी प्रकार के लोग होते हैं, कुछ लोग सामान्य होते हैं कुछ लोग सामान्य से अधिक होते हैं और कुछ लोग सामान्य से बहुत ही कम होते हैं, जो लोग सामान्य से बहुत कम होते हैं, उनको मंदबुद्धि या मानसिक असमर्थ बालक बालिका कहते हैं, जो निम्न दो प्रकारों में विभाजित किये गए है :- 

  1. अधिगम असमर्थ बालक:- देखने में इस श्रेणी के बालक सामान्य बालक बालिकाओं के जैसे ही दिखते हैं, किंतु लिखने पढ़ने समझने में यह असमर्थ होते हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वह सामान्य बालकों के पीछे ही रहते हैं कभी भी उनकी बराबरी नहीं कर पाते हैं।
  2. मंदबुद्धि बालक:- इस श्रेणी में उन बालक बालिकाओं को रखा गया है, जिनकी बुद्धि लब्धि (I. Q.) सामान्य बालको से बहुत कम होती है, अर्थात इनकी बुद्धि लब्धि 90 से कम होती है और इस प्रकार के बालकों को मानसिक विकलांग बालक या मानसिक मंद बालक के नाम से जाना जाता है।

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