समावेशी शिक्षा क्या है What is inclusive education
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख समावेशी शिक्षा क्या है, समावेशी शिक्षा के उद्देश्य (What is inclusive education) में। दोस्तों यहाँ पर आप समावेशी शिक्षा क्या है?
समावेशी शिक्षा के उद्देश्य, समावेशी शिक्षा की परिभाषा तथा समावेशी शिक्षा की विशेषताओं के साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य जान पायेंगे, तो आइये शुरू करें यह लेख समावेशी शिक्षा क्या है, समावेशी शिक्षा के उद्देश्य :-
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समावेशी शिक्षा क्या है What is inclusive education
समावेशी शिक्षा का आंदोलन सभी प्रकार के नागरिकों को समानता के अधिकार को पहचानने समझने और जानने के साथ ही बालकों को समावेशी आवश्यकताओं के साथ शिक्षा के हर एक क्षेत्र में समान अवसर प्राप्त करना होता है, क्योंकि कम नियंत्रित तथा अधिक प्रभावशाली वातावरण में ही छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जानी चाहिए और कम प्रतिबंधित वातावरण
जो बाधित छात्रों को दिया जाना चाहिए समान शिक्षण संस्थानों में प्राप्त होता है। अतः कहा जा सकता है, कि समावेशी शिक्षा अपंग या बाधित बालकों को सामान्य स्कूल में अन्य सामान्य बालकों के साथ कुछ विशिष्ट सहायता प्रदान करने के साथ उनको उनके साथ शिक्षा प्रदान करने से संबंधित होती है या फिर कह सकते हैं, कि शारीरिक तथा मानसिक रूप से जो बालक होते हैं वह सामान्य बालकों के साथ सामान्य कक्षा में शिक्षा प्राप्त करते हैं तथा कुछ विशेष सेवाओं के द्वारा उनकी सहायता की जाती है।
समावेशी शिक्षा की परिभाषा Definition of inclusive education
- स्टीफन तथा ब्लैकहर्ट के अनुसार :- शिक्षा की मुख्य धारा का अर्थ बाधित बालकों की सामान्य कक्षाओं में विशिष्ट व्यवस्था करना होता है। यह समान अनुसार मनोवैज्ञानिक सोच पर आधारित है, जो व्यक्तिगत योजना के द्वारा प्रयुक्त सामाजिक मानकीकरण और अधिगम को बढ़ावा देता है।
- अन्य शिक्षाविदों के अनुसार :- ऐसा कक्षा शिक्षण जिसमें सामान्य बालकों के साथ ही बाधित (अपंग) बालकों को कुछ विशिष्ट आवश्यकताओं और सेवाओं के साथ एक साथ शिक्षित किया जाता है।
समावेशी शिक्षा की प्रतिक्रियाएँ Inclusive education Pratikriyayen
समावेशी शिक्षा की चार मुख्य प्रतिक्रियाएँ होती हैं, जिन्हें हम निम्न प्रकार से समझते हैं:-
- मानकीकरण :- जब हम प्रतिभाशाली बालकों के साथ ही उन सामान्य बालकों को बाधित बालकों को जितना संभव हो सके सामान्य सामाजिक वातावरण पैदा करते हैं ताकि वह किसी भी कार्य को सीख सकें और सीखने के लिए तत्पर हो सके वह प्रक्रिया मानकीकरण होती है।
- संस्था रहित शिक्षा:- यह ऐसी प्रक्रिया मानी जाती है, जिसमें अधिक से अधिक प्रतिभाशाली बालकों के साथ युवक छात्रों की सीमाओं को समाप्त करती है, जो आवासीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हैं, उन्हें जनसाधारण के मध्य शिक्षा ग्रहण करने के अवसर प्रदान करते हैं।
- शिक्षा की मुख्य धारा :- शिक्षा की मुख्य धारा वह एक प्रक्रिया होती है, जिसमें प्रतिभाशाली बालकों को सामान्य बालकों के साथ ही नित्य प्रतिदिन शिक्षा के माध्यम से आपस में संबंध रखने के लिए तैयार किया जाता है उनको प्रेरित किया जाता है तथा उसमें उनको ढाला जाता है।
- समावेश :- समावेश का अर्थ होता है, कि प्रतिभाशाली बालकों को प्रत्येक दशा में सामान्य शिक्षा कक्ष में उनकी शिक्षा के लिए लाना, क्योंकि समावेश के अंतर्गत माना जाता है, कि अपंग बालकों के भी वही अधिकार होते हैं,जो सामान्य बालकों के होते हैं और समाज में उन्हें प्रगति उत्थान के लिए सामान्य बालकों के समान ही अवसर प्राप्त होते हैं।
समावेशी शिक्षा की उद्देश्य Objective of inclusive education
समावेशी शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों को रखा गया है, जिनमें से कुछ प्रमुख उद्देश्य यहाँ पर वर्णित किए गए हैं:-
- समावेशी शिक्षा के अंतर्गत जो भी शारीरिक रूप से अपंग (अक्षम) बालक हैं, उनको पुनर्वास उपलब्ध कराया जाना।
- समावेशी शिक्षा के अंतर्गत यह भी उद्देश्य रखा गया है, कि जिन बालकों में शारीरिक दोष है उसकी पहचान करना तथा उस दोष को गंभीर स्थिति प्राप्त करने के पहले ही उसके रोकथाम के लिए उपाय किया जाना।
- शारीरिक दोषी युक्त जो बालक बालिकाएँ होते हैं उनका विशेष आवश्यकताओं तथा जरूरत संबंधित सामग्री उपलब्ध कराना।
- शारीरिक रूप से जो बालक अपंग होते हैं, सक्षम नहीं होते हैं उन बालकों की शिक्षण समस्याओं की जानकारी प्राप्त करना और सामूहिक तौर पर उनको सुलझाना।
- समावेशी शिक्षा का उद्देश्य होता है, कि जो भी बालक बालिका शारीरिक रूप से अपंग है, उनकी शिक्षा समस्याओं की जानकारी प्राप्त करके उनका तुरंत समाधान करना तथा आवश्यकता के अनुसार उनको जरूरत की सामग्री प्रदान करना।
- बालकों की असर्मथताओं का पता लगाकर उनको दूर करने का प्रयास करना।
समावेशी शिक्षा की विशेषताएँ Charecteristics of inclusive education
- समावेशी शिक्षा एक ऐसी शिक्षा प्रकृति या फिर व्यवस्था होती है, जिसमें शारीरिक रूप से जो बाधित बालक होते हैं, वह सामान्य बालकों के साथ एक ही कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर पाते हैं और जिनको कुछ विशेष सहायता की आवश्यकता होती है, वह उनको प्रदान कर दी जाती है।
- समावेशी शिक्षा के अंतर्गत बहुत कम शारीरिक रूप से जो छात्र-छात्राएंँ बाधित होते हैं, उनको सामान्य शिक्षण संस्थानों में प्रवेश दिया जाता है तथा सामान्य बालकों के साथ ही वह अपने समान अधिकारों का प्रयोग करके शिक्षा के अवसर प्राप्त करते हैं।
- समावेशी शिक्षा की एक विशेषता यह भी है, कि समावेशी शिक्षा व्यवस्था में जो अपंग बालक बालिकाएँ होते हैं, उनको कम प्रतिबंधित वातावरण और अधिक प्रभावशाली वातावरण उपलब्ध कराया जाता है, जिससे वह सामान्य बालकों के साथ सामान्य जीवन यापन करने के लिए तैयार हो पाते हैं।
- समावेशी शिक्षा को इस प्रकार से तैयार किया गया है, जिससे जो समाज में अपंग बालक होते हैं, उनको सामान्य बालकों के साथ शिक्षा प्रदान की जाती है और समाज में वह अन्य लोगों की भांति आत्मनिर्भर बन पाते हैं और अपना जीवन यापन करने के लिए तैयार हो पाते हैं।
- यह एक ऐसी व्यवस्था होती है, जिसमें शारीरिक रूप से बाधित बालक भी सामान्य बालकों के समान महत्वपूर्ण समझे जाते हैं।
- अपंग बालकों के जीवन स्तर को ऊंचा उठने के लिए तथा नागरिक अधिकार को उन छात्रों में सुनिश्चित करने के लिए समावेशी शिक्षा पहल करती है।
- समावेशी शिक्षा समाज में अपंग और सामान्य बालकों के मध्य स्वस्थ सामाजिक वातावरण के साथ ही उनमें अच्छा मधुर संबंध बनाने के लिए सहायक होती है, तथा समाज में एक दूसरे के मध्य से दूरी कम तथा आपसी सहयोग की भावना प्रदान करने का कार्य करती है।
- समावेशी शिक्षा शिक्षण की समानता तथा अवसर जो अपंगों को नहीं मिल पाते हैं, उनको एक रूप में प्रदान करने का आयाम होता है, जिसमें अध्यापक शिक्षाविद माता-पिता सभी एक साथ प्रयास करते हैं।
दोस्तों यहाँ पर आपने समावेशी शिक्षा क्या है? (What is inclusive education) समावेशी शिक्षा के उद्देश्य, समावेशी शिक्षा की परिभाषा तथा समावेशी शिक्षा की विशेषताओं को पढ़ा आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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