ह्यूरिस्टिक विधि के जनक Father of Heuristic Method

ह्यूरिस्टिक विधि के जनक Father of Heuristic Method

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है इस लेख अन्वेषण विधि क्या है (Anveshan vidhi kya hai) में। दोस्तों यहाँ पर आप अन्वेषण विधि क्या है? ह्यूरिस्टिक विधि के जनक

ह्यूरिस्टिक विधि क्या है? अन्वेषण विधि के जनक कौन है? ह्यूरिस्टिक विधि के जनक Father of Heuristic Method ह्यूरिस्टिक विधि के गुण आदि कई महत्वपूर्ण तथ्य जानेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख अन्वेषण विधि क्या है:- 

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अन्वेषण विधि क्या है

ह्यूरिस्टिक विधि क्या है Heuristic Method kya hai

ह्यूरिस्टिक विधि को अन्वेषण विधि के नाम से भी जाना जाता है और यह विधि जीव विज्ञान की एक बहुत ही प्रभावशाली और मनोवैज्ञानिक शिक्षण विधि होती है, जिसका आविष्कार आर्मस्ट्रांग महोदय ने किया था। हर्वरट स्पेंसर ने कहा है, 

कि बालकों को कम से कम ज्ञान दिया जाना चाहिए, जबकि उनको अधिक से अधिक खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। अन्वेषण विधि जीव विज्ञान के शिक्षण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विधि है, जो छात्रों को यथासंभव एक अन्वेषण की स्थिति में ला देती है, जिसमें वस्तुओ के विषय के बारे में जानने के साथ उनकी खोज भी आवश्यक होती है।

ह्यूरिस्टिक विधि के जनक Father of Heuristic Method

ह्यूरिस्टिक विधि जीव विज्ञान के शिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली विधि है, जिसके जनक आर्मस्ट्रांग महोदय जी है। इस विधि में छात्रों को खोजकर्ता कहा जाता है और उन्हें अपने आप चीज़ें खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, इसलिए इस विधि को खोज विधि के नाम से जाना जाता है, कियोकि इस विधि में छात्र स्वयं खोज करके सीखते है।

अन्वेषण विधि का अर्थ Meaning of Anveshan

अन्वेषण जिसे हुरिष्टीक विधि के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें Heurustic शब्द का निर्माण ग्रीक भाषा के शब्द Heurisco से हुआ है, जिसका अर्थ होता है "में खोजता हूँ" इस प्रकार से अन्वेषण विधि का अर्थ होता है, कि मैं स्वयं खोज कर ज्ञान प्राप्त करता हूँ, 

इसलिए यह विधि खोज पर आधारित ज्ञान से है और इसका उद्देश्य बालकों की खोज की प्रकृति का उदय करना होता है। इस विधि के अंतर्गत बालकों के सामने ऐसी परिस्थितियों को ला दिया जाता हैं, जिससे बालक स्वयं खोजने के लिए प्रेरित हो जाता है। 

अन्वेषण विधि के उद्देश्य Objective of Anveshan vidhi 

अन्वेषण विधि का सबसे प्रमुख उद्देश्य होता बालकों को एक खोजकर्ता अन्वेषक बनाना, इस विधि के द्वारा मूल उद्देश्य ज्ञान बालको को स्थाई रूप से ज्ञान प्रदान करना तथा उन्हें अधिक निश्चित, अत्यधिक सत्यप्रिय, सूक्ष्म निरीक्षक, चिंतनशील आदि बनाना होता है। 

अन्वेषण विधि की कार्य प्रणाली Methodology of Anveshan vidhi 

अन्वेषण विधि में सबसे पहले छात्र तथा छात्राओं के सामने कोई एक समस्या पेश की जाती है, इसके पश्चात उनसे कहा जाता है, कि इस समस्या का समाधान खोजिए। अध्यापक उनको समस्या का समाधान खोजने के लिए विभिन्न प्रकार से प्रेरित करता है और उनका मार्गदर्शन करता है। इस विधि के अंतर्गत प्रत्येक बालक को व्यक्तिगत रूप से स्वतंत्रता प्रदान होती है, 

कि वह अपनी समस्या का समाधान कर पाए इसके पश्चात बालक समस्या पर विचार करते हैं और एक खोजकर्ता की भांति चिंतन करने लगते हैं। बालक तथा बालिकाएँ उस समस्या के समाधान के लिए विभिन्न अंगों का विश्लेषण करते हैं, वाद विवाद करते हैं, प्रश्न करते हैं तथा पुस्तकालय में जाकर विभिन्न प्रकार की पुस्तकों को खोजते हैं और देखते हैं इसमें बालक अपनी बुद्धि के द्वारा समस्याओं का समाधान करता है साथ ही वैज्ञानिक प्रवृत्ति का भी उसमें विकास होता है।

अन्वेषण विधि में अध्यापक का स्थान Teachers role in Anveshan vidhi 

अन्वेषण विधि में अध्यापक का स्थान बहुत ही अलग और विशिष्ट होता है, जबकि यहाँ पर इस विधि के अंतर्गत बालक स्वयं ज्ञान को प्राप्त करता है, स्वयं समस्याओं को सुलझाता है और उस समस्या का जो हल होता है, वह अध्यापक के सामने प्रस्तुत करता है। 

वहीं दूसरी तरफ अध्यापक का भी यहाँ पर विशेष स्थान होता है, क्योंकि अध्यापक समस्याएँ प्रदान करता है और उस समस्या से जो भी संदर्भित प्रश्न होता है, उनका उत्तर देता है, तथा बालकों को समस्याओं का हल निकालने के लिए विभिन्न प्रकार से प्रेरित करता है तथा मार्गदर्शन करता रहता है।

अन्वेषण विधि के गुण Merits of Anveshan vidhi 

  1. इस विधि का सबसे बहुत बड़ा गुण होता है, कि इस विधि के पश्चात बालकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण निर्मित होने लगता है उनमें निरीक्षण और जिज्ञासा की भावना का विकास होने लगता है।
  2. अन्वेषण विधि के प्रयोग से अध्यापक संपूर्ण कक्षा के संपर्क में बना रहता है।
  3. बालकों में आत्मनिर्भरता तथा समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक सोच उत्पन्न होती है।
  4. यह विधि बालकों को क्रियाशील बनाती है तथा चिंतनशील बनाकर उनकी मानसिक योग्यता को मजबूत करती है।
  5. अन्वेषण विधि के द्वारा बालक तथा बालिकाएँ, जो भी ज्ञान प्राप्त करते हैं, वह विभिन्न प्रकार की क्रिया करने के पश्चात प्राप्त होता है, जो स्थाई होता है।
  6. इस प्रणाली में छात्र समस्त कार्य कक्षा में ही करता है, ऐसी दशा में वह गृह कार्य की समस्या से मुक्त रहता है।
  7. अन्वेषण विधि एक पूरी तरह से मनोविज्ञान विधि होती है, इसीलिए छात्रों की दृष्टिकोण से यह तार्किक भी है।

अन्वेषण विधि के दोष Demerits of Anveshan vidhi 

  1. अन्वेषण विधि प्राथमिक स्तर की कक्षाओ के लिए उपयोग में नहीं लाई जा सकती, क्योंकि इसका उपयोग केवल उच्च कक्षाओं में ही किया जा सकता है।
  2. इस विधि के अंतर्गत कम आयु के छात्र-छात्राओं से यह आशा रखी जाती है, कि वह स्वयं तथ्यों की छानबीन करें और निष्कर्ष निकाले तथा समस्या का समाधान करें जो एक असंभव सी बात लगती है।
  3. इस विधि के अंतर्गत बालक तथा बालिकाओं से यह आशा की जाती है, कि वह समस्याओं का विश्लेषण स्वयं करें और ज्ञान प्राप्त कर लें, किंतु कई बार यह बालक तथा बालिकाओं के लिए हानिकारक भी हो जाता है।
  4. इस विधि के अंतर्गत जो भी ज्ञान प्राप्त किया जाता है, उसके लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होती है।
  5. यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें व्यय अधिक होता है।
  6. अन्वेषण विधि का उपयोग केवल उन विद्यालयों में किया जा सकता है, जहां पर छात्र-छात्राओं की संख्या कम होती है। 

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