व्याख्यान विधि क्या है, जनक, गुण, दोष What is lecture method

व्याख्यान विधि क्या है What is lecture method

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस लेख व्याख्यान विधि क्या है व्याख्यान विधि के गुण व्याख्यान विधि के दोष (What is lecture method) vyakhyan vidhi ke janak kaun hai में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आज आप व्याख्यान विधि के बारे में जानेंगे, 

कि व्याख्यान विधि के जनक कौन है? व्याख्यान विधि की वह कौन सी विशेषताएं हैं? जो इस विधि को शिक्षण में उपयोगी बनाते हैं तथा व्याख्यान विधि के कौन से दोष हैं? जिनमें सुधार करना आवश्यक है, शुरू करते हैं आज का यह लेख व्याख्यान विधि क्या है जनक गुण दोष में:- 

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व्याख्यान विधि क्या है


व्याख्यान विधि क्या है What is lecture method

व्याख्यान का मतलब उस क्रिया से होता है, जिसमें पाठ को भाषण माध्यम के द्वारा पढ़ाया जाता है अर्थात कोई भी शिक्षक जब कक्षा में सक्रिय अवस्था में किसी विषय पर विशेष ज्ञान भाषण के माध्यम से देते हैं और छात्र निष्क्रिय रहते हुए उसको सुनते हैं, 

उसको व्याख्यान विधि कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो शिक्षण की वह विधि, जिसमें शिक्षक सक्रिय वक्ता के रूप में माना जाता है, क्योंकि यह किसी भी विषय पाठयवस्तु को छात्र-छात्राओं को इस प्रकार पड़ाता है, कि छात्र-छात्राएँ निष्क्रिय रहकर केवल उसको सुनते हैं यह विधि व्याख्यान विधि कहलाती है। व्याख्यान विधि उच्च कक्षाओं के लिए उपयोगी मानी जाती है, यह एक ऐसी विधि होती है, 

जिसमें विषय की सूचना तो दी जाती है किंतु छात्रों को स्वयं ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा तथा प्राप्त ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग की क्षमता नहीं दी जाती। व्याख्यान विधि में यह भी जानना कठिन होता है, कि शिक्षक के द्वारा दिया गया ज्ञान छात्रों को कितना मिला।

व्याख्यान विधि के जनक Father of lecture method

व्याख्यान विधि वैदिक काल से ही प्रचलित है, वैदिककाल में आश्रम में शिक्षा व्यवस्था प्रचलित हुआ करती थी, तब वहाँ गुरु छात्रों को उपदेश दिया करते थे जो व्याख्यान प्रणाली का ही एक रूप था, 

इसलिए व्याख्यान विधि के आविष्कार का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता, लेकिन इसकी जड़ें ग्रीस से जुडी हैं. वहां के दार्शनिक सुकरात और अरस्तू मौखिक प्रवचन के ज़रिए शिक्षा देने का काम किया करते थे, इसीलिए वर्तमान में व्याख्यान विधि के जनक के रूप में महान दार्शनिक सुकरात को जाना जाता है, जो यूनान के निवासी थे।

व्याख्यान विधि की विशेषताएँ Features of lecture method

  1. व्याख्यान विधि की विभिन्न प्रकार की विशेषताएँ है, यहाँ पर कुछ प्रमुख विशेषताओं का वर्णन किया गया है:- 
  2. व्याख्यान विधि का उपयोग उच्च कक्षाओं में शिक्षण के लिए होता है यह विधि निम्न कक्षाओं के लिए शिक्षण में उपयोग में नहीं लायी जाती।
  3. व्याख्यान विधि शिक्षक के लिए बहुत ही सरल संक्षिप्त और आकर्षक होती है, इसमें शिक्षक सक्रिय वक्ता के रूप में होता है और वह जो भी पड़ता है छात्र उसको ध्यान से सुनते हैं।
  4. व्याख्यान विधि एक ऐसी विधि होती है, जिसमें अधिक सूचनाएँ कम समय में दी जा सकती हैं, क्योंकि इसमें वक्ता के रूप में शिक्षक होते हैं और किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप शिक्षण में नहीं होता है ना ही कोई भी छात्र हस्तक्षेप कर सकता है।
  5. व्याख्यान विधि के द्वारा एक ही समय में बहुत से छात्रों को पढ़ाया जा सकता है और छात्र बहुत सी सूचनाओं को नोट कर सकते हैं।
  6. व्याख्यान विधि में विषय का तार्किक ज्ञान क्रमबद्ध अवस्था में दिया जाता है, जिससे छात्र-छात्राएँ आसानी से विषयवस्तु को समझ पाते है।
  7. यह शिक्षक तथा छात्रों दोनों को विषय के अध्ययन के प्रगति के विषय में संतुष्टि प्रदान करता है।
  8. व्याख्यान विधि के द्वारा एक ही समय में छात्रों के एक बहुत ही बड़े समूह को शिक्षित किया जा सकता है, क्योंकि इसमें हमेशा शिक्षक सकरी रहता है।
  9. शिक्षक विचारधारा के प्रवाह में बहुत सी नई बातें बता देते हैं और इस विधि के प्रयोग से अध्यापक को शिक्षण कार्य में भी सुविधा प्राप्त होती है।

व्याख्यान विधि के दोष Demerits of lecture method

  1. व्याख्यान विधि का सबसे बड़ा दोष होता है, कि इस विधि में छात्र निष्क्रिय अवस्था में रहते हैं, वह किसी भी प्रकार का प्रश्न वाद विवाद आदि भी इस विधि द्वारा शिक्षण के दौरान नहीं कर पाते हैं।
  2. इस विधि के द्वारा जो भी सूचनाऐं प्रदान की जाती हैं, वह केवल अध्ययन की सुविधा तथा पाठ्यक्रम पूर्ण करने के माध्यम से की जाती हैं, ना की ज्ञान प्राप्त करने की दृष्टि से।
  3. व्याख्यान विधि केवल उच्च कक्षा के शिक्षण में ही प्रयोग हो पाती हैं ना की छोटी कक्षाओं के लिए क्योंकि यह विधि अमनोवैज्ञानिक विधि होती है।
  4. व्याख्यान विधि एक ऐसी विधि होती है, जिसमें छात्र हमेशा निष्क्रिय बने रहते हैं और छात्रों में ज्ञान प्राप्त करने की रुचि जागृत नहीं हो पाती है।
  5. इस विधि के शिक्षण में छात्र मानसिक रूप से तैयार नहीं होते हैं और उनकी मानसिक शक्ति का विकास नहीं हो पाता है।
  6. व्याख्यान विधि के माध्यम से जो भी ज्ञान छात्र-छात्राओं को दिया जाता है, वह ज्ञान स्थाई ना बनकर अस्थाई होता है।
  7. व्याख्यान विधि के दौरान अगर कोई भी छात्र किसी विषयवस्तु किसी प्रश्न किसी बात को नहीं समझ पाते हैं, तो वह आगे भी विषय वस्तु को ठीक प्रकार से समझने में असमर्थ रहते हैं।
  8. इस विधि के द्वारा गुरु शिष्य संबंध में कठोरता और नीरसता देखने को मिलती है, इसीलिए यह विधि गुरु शिष्य शिक्षक सिद्धांत की अवहेलना करती है।

व्याख्यान विधि में सुधार के सुझाव Suggestions to improve lecture method

  1. व्याख्यान विधि के द्वारा शिक्षण कराते समय अध्यापक को आवश्यकता के अनुसार श्यामपट्ट का उपयोग करना चाहिए तथा महत्वपूर्ण बातों को श्यामपट्ट पर लिखना चाहिए, जिससे छात्र-छात्राएँ उसको नोट कर सकें।
  2. कक्षा शिक्षण के दौरान उचित सहायक सामग्री, शिक्षण सामग्री का प्रयोग समय-समय पर करते रहना चाहिए।
  3. व्याख्यान विधि में छात्रों को क्रियाशील बनाने के लिए प्रेरित रखना चाहिए, उनसे समय-समय पर प्रश्न पूछने के लिए उन्हें बाध्य करना चाहिए।
  4. छात्र-छात्राओं को पढ़ाते समय उनकी रुचि और उनको मानसिक रूप से तैयार करने के लिए भी कोशिश करना चाहिए।
  5. छात्रों को इस विधि के अंतर्गत कम ज्ञान दिया जाना चाहिए तथा उनको उनके पूर्व ज्ञान के आधार पर अपने परिश्रम व अनुभव से अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अवसर प्रदान करना चाहिए। 

दोस्तों यहाँ पर आपने व्याख्यान विधि क्या है, व्याख्यान विधि के जनक vyakhyan vidhi ke janak kaun hai व्याख्यान विधि गुण, व्याख्यान विधि दोष (What is lecture method) आदि पढ़े, आशा करता हुँ, आपको यह लेख पसंद आया होगा।

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