निगमन विधि के जनक कौन है Father of Deductive Method

निगमन विधि के जनक कौन है Father of Deductive Method

हैलो दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख निगमन विधि के जनक (Father of Deductive Method ) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि निगमन विधि क्या है?

निगमन विधि के प्रतिपादक कौन है? निगमन विधि के गुण, निगमन विधि के दोष आदि। तो आइये शुरू करते है, आजका यह लेख निगमन विधि के उदाहरण:-


निगमन विधि के जनक कौन है

निगमन विधि क्या हैं Nigman vidhi kya hai

निगमन विधि एक शिक्षण विधि है जो आगमन विधि की बिल्कुल विपरीतार्थक विधि कहलाती है, क्योंकि इसमें शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए सबसे पहले नियमों तथा सिद्धांतों को छात्र - छात्राओं

के सामने रखा जाता है फिर नियमों तथा सिद्धांतों को स्पष्ट तथा उसकी सत्यता की जांच करने के लिए उनका प्रयोग उदाहरण Example पर किया जाता है।

साधारण भाषा में कहा जा सकता है, कि वह विधि जिसमें छात्रों को पहले नियम तथा सिद्धांत बता दिए जाते हैं, इसके पश्चात छात्रों के सामने उदाहरण प्रस्तुत किए जाते हैं,

इन बताए गए नियम तथा सिद्धांतों की पुष्टि छात्र उदाहरणों के द्वारा करते हैं, उस विधि को ही निगमन विधि Deductive Method कहा जाता है।

इस विधि के अंतर्गत पहले नियम और सिद्धांतों को छात्रों के सामने रखना पड़ता है, इसके पश्चात उदाहरणों के द्वारा पुष्टि करनी पड़ती है।

इस विधि के लिए लैंडल महोदय ने कहा है,  कि निगमन विधि द्वारा शिक्षक पहले परिभाषा या नियम सिखाता है इसके पश्चात सावधानीपूर्वक उदाहरण से स्पष्टीकरण किया जाता है। निगमन विधि का शिक्षण में प्रयोग सबसे अधिक उच्च कक्षाओं में होता है

जो प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर सूक्ष्म से स्थूल की ओर सामान्य से विशिष्ट की ओर तथा नियम से उदाहरण कि ओर की क्रियाविधि पर आधारित रहती है।

निगमन विधि के उदाहरण

निगमन विधि के जनक Father of Deductive Method 

निगमन विधि शिक्षण की एक प्राचीनतम विधि है, जो वर्तमान में सबसे अधिक उपयोग में लायी जाती है। कियोकि इसका उपयोग

उच्च कक्षाओं के शिक्षण में किया जाता है। निगमन विधि के प्रतिपादक अरस्तु है, जो यूनान के एक महान दार्शनिक तथा सिकंदर तथा प्लूटो के गुरु थे। 

निगमन विधि के सोपान Sopan of Deductive Method 

निगमन विधि के सोपान निम्नलिखित है:- 

  1. नियम या सिद्धांत का प्रस्तुतीकरण - इसमें छात्र तथा छात्राओं को पहले नियम तथा सिंद्धांत दिए जाते है, जिन्हे छात्र रटते है।
  2. नियम तथा सिद्धांत का प्रयोग उदाहरण देना - इसमें अध्यापक छात्र - छात्राओं के सम्मुख सिद्धांत तथा नियम के प्रयोग के लिए उदाहरण देते है।
  3. निष्कर्ष निकालना - छात्र - छात्राएँ नियम तथा सिद्धांतो के आधार पर दिए गए उदाहरणो से निष्कर्ष तक पहुँचने की कोशिश करते है।
  4. सत्यापन - यहाँ पर छात्र - छात्राएँ नियम तथा सिद्धांतो की सत्यता की जाँच विभिन्न प्रकार के उदाहरण के द्वारा करते है। 

निगमन विधि के सूत्र Formula of Deductive Method 

निगमन विधि निम्नलिखित सूत्रों पर कार्य करती है:- 

  1. अज्ञात से ज्ञात की ओर - इसमें छात्रों को पहले फार्मूला पता नहीं होता है, इसलिए उन्हें फार्मूला दिया जाता है, जो अज्ञात था जिसके आधार पर छात्र प्रश्न का हल करके उत्तर ज्ञात करते है। 
  2. सामान्य से विशिष्ट की ओर - यहाँ सामान्य फार्मूला तथा ज्ञान के आधार पर वह विशिष्ट ज्ञान प्राप्त करता है। 
  3. सूक्ष्म से स्थूल की ओर - इसमें छात्र छोटे - छोटे फार्मूलो से बड़े - बड़े प्रश्न हल करता है। 
  4. नियम से उदाहरण की ओर - यहाँ पर नियम पहले दिए जाते है, फिर उदाहरण से उनकी पुष्टि करते है। 
  5. प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर - निगमन विधि प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर क्रियाविधि पर कार्य करती है अर्थात इसमें प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर जाना होता है। 
  6. अमूर्त से मूर्त की ओर - यह विधि अमूर्त से मूर्त की ओर क्रियाविधि पर कार्य करती है। 

निगमन विधि के गुण Properties of Deductive Method 

  1. निगमन विधि के द्वारा शिक्षण कार्य में समय की बचत होती है, कियोकि इसमें खोज, अनुसन्धान, चिंतन का आभाव होता है।
  2. इस विधि के द्वारा कम से कम समय में अधिक से अधिक प्रश्न हल कराये जा सकते हैं।
  3. निगमन विधि का प्रयोग समय और ऊर्जा की बचत के लिए आज के समय में अध्यापक के द्वारा सबसे अधिक होता है।
  4. इस विधि के द्वारा छात्रों की बुद्धि लब्धि में वृद्धि, स्मरण क्षमता में वृद्धि होती है, कियोकि छात्रों को अनेक नियम और सूत्रों को याद करना पड़ता है। 
  5. यह विधि बार-बार अभ्यास पर जोर देती है ताकि ज्ञान स्थायी हो जाये, जिससे यह अधिक लाभप्रद हो जाती है।
  6. इस विधि द्वारा नियम सिद्धांत तथा सूत्रों की सत्यता की जानकारी प्राप्त हो जाती है।
  7. निगमन विधि बीजगणित तथा रेखागणित शिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

निगमन विधि के दोष Defects of Deductive Method 

  1. निगमन विधि के द्वारा छात्रों में तर्क विचार शक्ति तथा बौद्धिक विकास बहुत ही कम हो पाता है
  2. निगमन विधि छात्र - छात्रायों को नियम या सिद्धांत रटने पर जोर देती है। 
  3. निगमन विधि द्वारा प्राप्त ज्ञान स्पष्ट होता है किन्तु वह ज्ञान अपूर्ण और अस्थायी होता है, तथा नवीन ज्ञान के मार्ग अवरुद्ध हो जाते है। 
  4. इस विधि के द्वारा छात्रों को नियम सिद्धांत पहले ही मिल जाते है जिससे उनमें वैज्ञानिक खोज की रूचि, आत्मविश्वास, तथा आत्मनिर्भरता उत्पन्न नहीं होती।
  5. यह विधि छोटी कक्षाओं के लिए उपयुक्त नहीं होती है, 

निगमन विधि के उदाहरण Example of Deductive Method 

निगमन विधि में पहले नियम तथा सिद्धांत बताये जाते है,  तथा प्रयोगो और उदाहरण के आधार पर उनकी सत्यता की जाँच करते है।

जैसे कर्मधारय समास के लिए नियम होता है, कि इसका पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है। छात्र इस सिद्धांत, नियम को रटेंगे

फिर उन्हें कर्मधारय समास का उदाहरण दिए जायेंगे जिनके आधार पर वे उस नियम कि पुष्टि करेंगे मानो कि उदाहरण है नीलकंठ

जो प्रथम पद नील अर्थात नीला जो विशेषण है तथा दूसरा पद कंठ अर्थात गला जो विशेष्य से मिलकर बना है इसप्रकार नियम की पुष्टि होती है।

दोस्तों आपने इस लेख में निगमन विधि के उदाहरण (Example of Deductive Method) पढ़े। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

इसे भी पढ़े:-

  1. अधिगम के नियम Laws of Learning
  2. शिक्षण अधिगम के सिद्धांत नोट्स Principle of Teaching Learning



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