वाणी बाधित बालक का अर्थ Wani Badhit Balak ka arth

वाणी बाधित बालक का अर्थ Wani Badhit Balak ka arth 

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वाणी बाधित बालक की परिभाषा के साथ आप वाणी बाधित बालको की पहचान, वाणी बाधित बालको के प्रकार के साथ ही उनका उपचार पड़ेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख वाणी बाधित बालक का अर्थ:- 

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वाणी बाधित बालक का अर्थ


वाणी बाधित बालक का अर्थ Wani Badhit Balak ka arth 

वाणी बाधित बालक का अर्थ उस स्थिति से होता है, जिस स्थिति में कोई बालक तथा बालिका किसी भी भाषा को ठीक प्रकार से बोलने में असमर्थ रहते है। ऐसे बच्चे कक्षा के दौरान अध्यापक का ध्यान भी आकर्षित नहीं कर पाते हैं और उनका दोष भी मालूम नहीं हो पाता है। बालक बालिका जब सरलता से किसी शब्द किसी वाक्य को तोड़ मरोड़ कर अपभ्रंश करके कुछ शब्द छोड़कर कुछ शब्द अपनी तरफ से जोड़कर रुक-रुक कर या फिर बोलते समय भी चुप हो जाते हैं 

तो ऐसे बालक वाणी बाधित बालक कहलाते हैं, जिनमें तीन प्रकार की असमर्थता जैसे की आवाज का व्यवस्थित न होना, उच्चारण स्पष्ट न होना और धारा प्रवाह ना होना अधिक देखा जाता है। अगर साधारण भाषा में बात करें तो वाणी बाधित बालक का अर्थ उन बालक बालिकाओं से होता है जो मुख की आवाज बोले गए शब्दों में तालमेल तथा शब्दों को संयोजित करने में कठिनाई का सामना करते हो। 

वाणी बाधित बालक की परिभाषा Definition of Wani Badhit Balak

  1. राइपर महोदय ने 1978 में वाणी बाधित बालक की परिभाषा देते हुए कहा, कि बालक जिसके संप्रेषण में समस्या होती है और उसका स्वर या वाणी अन्य सामान्य बालको से भिन्न प्रकार की होती है वह स्वयं भी सजग होता है कि अपनी बात कहने में असमर्थ है उसकी वाणी मधुर नहीं होती है।
  2. परकिन्स महोदय ने 1977 में कहा कि वाणी बाधित बालक वे होते हैं, जिनमें व्याकरण की दृष्टि से सांस्कृतिक रूप से असंतोषजनक हो क्योंकि वाणी अंग क्षतिग्रस्त हैं उनका संप्रेषण दोष युक्त होता है।

वाणी बाधित बालकों की पहचान Identification of Wani Badhit balak 

वाणी बाधित जो बालक बालिकाएं होती है, इनकी पहचान करना बहुत ही सरल है सबसे पहले कक्षा शिक्षण में अध्यापक सभी बच्चों के उच्चारण पर ध्यान देते हैं और अगर कोई बच्चा हकलाता है उसमें उच्चारण का दोष पाया जाता है तो वह वाणी बाधित बालक होता है और उसको परामर्श और चिकित्सा की आवश्यकता होती है। कक्षा शिक्षण के दौरान ही सबसे अधिक वाणी बाधित बालकों की पहचान हो पाती है जैसे, 

कि जो बालक नाक से बोलते हो, उनकी आवाज में भारीपन हो और धीमे या तेज बोलते हो, आदि तरीकों से उनको पहचाना जा सकता है। जो वाणी बाधित बालक होते हैं उनके बोलने में गलत शब्दों का प्रयोग ज्यादा देखने को मिलता है, कम सुनने वाले और देर से बोलने की समस्या अगर बच्चों में होती है तो वह वाणी बाधित बालक होते हैं। इस प्रकार से वाणी बाधित बालकों की पहचान करके उनका उपचार करके उस समस्या को उपचारित कर सकते हैं।

वाणी बाधित बालकों की विशेषताएँ Charecteristics of Wani Badhit Balak 

वाणी बाधित बालक जो होते हैं, उनकी आवाज में मधुरता नहीं होती, उनका स्वर असामान्य होता है और उनकी आवाज अनुकूलित नहीं होती वह ज्यादा जोर से या फिर कभी-कभी धीरे बोलते हैं, उनकी आवाज में तारतम्य में नहीं होती है वह कहीं शब्दों को छोड़ते हैं तो कहीं पर शब्दों को जोड़ देते हैं और तोड़ मरोड़ कर उसको बोलते हैं।

वाणी बाधित बालक बोलते समय शब्दों का उच्चारण सही से नहीं कर पाते हैं, उनमें स्वर सम्बंधित दोष दिखाई देते है और उनकी जीभ जुड़ी लंबी या छोटी होती है और तालु जबड़े में भी ऐसे दोष पाए जाते हैं जो उनको बोलने में असमर्थता प्रदान करते हैं। इस प्रकार के दोष गलत सीखने और मनोवैज्ञानिक आयोजन न होने के कारण वातावरण को भिन्नता प्रदान करते हैं।

कुछ बालक ऐसे भी होते हैं, जिनमें स्रोत प्रक्रिया में दोष होता है, नासिका से बोलना हकलाना आदि दोष है, जिसके कारण वह नाक के स्वर से बोलते हैं जिससे सुनने वालों को समझने में कठिनाई होने लगती है। इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी हैं जैसे संक्रामक रोग टॉन्सिल्स में सूजन होने के कारण स्वर में कई दोष आ जाते हैं।

कुछ बालक बोलते समय हकलाते हैं और तुतलाते हैं तथा धारा प्रवाह नहीं बोल पाते हैं वह रुक-रुक कर बोलते हैं उनके गले और जीभ में दोष के कारण ऐसा होता है।

वाणी बाधित बालकों के कारण Cause of Wani Badhit Balak 

बड़ी बाधित बालकों के एक नहीं कई कारण होते हैं जो जन्म से या जन्म के बाद विभिन्न प्रकार की घटनाओं के फल स्वरुप उत्पन्न हो जाते हैं यहां पर कुछ कारणों को समझाया गया है:- 

  1. जैविक कारण:- बालक तथा बालिकाओं में कई जैविक दोष के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है, जैसे कि तालू में असमानता, दांतों में अनियमितता जीभ में दोष आदि।
  2. व्यावहारिक और कार्यकारण दोष :- कुछ बालकों के बोलने तथा उनके स्वर में दोष उत्पन्न होता है और यह अधिकतर घर परिवार समाज के बड़े लोगों और साथियों को देखकर आता है। उनको देखकर वह उन्हीं की तरह बोलते हैं और सीखते हैं और फिर बाद में शब्दों का उच्चारण ठीक से नहीं कर पाते है। 
  3. मनोजैविक कारण :- विभिन्न प्रकार के अध्ययनों के पश्चात ज्ञात हुआ कि वाणी बाधित होने का मनोजैविक कारण भी होता है। जब बालक में वाणी दोष जैविक और व्यावहारिक नहीं होते तब माता-पिता तथा घर के वातावरण के कारण बडवे वाणी बाधित होते हैं। घर के अंदर बोलने की भाषा शुद्ध नहीं होती है और उच्चारण उनका अशुद्ध होता है, इसी प्रकार की भाषा बोलने का अनुकरण जब बच्चा करता है तो आगे अपने वातावरण में समायोजन नहीं कर पाता है और माता-पिता के अवांछनीय व्यवहार वाणी बाधिता के कारण बन जाते हैं।
  4. मनोवैज्ञानिक कारण:- यह समस्या भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कारण के फलस्वरूप भी उत्पन्न होती है। वाणी की अक्षमता स्वर अंगों के साथ बालक की स्वयं की परिपक्वता पर भी निर्भर होती है। स्वयं की अभिप्रेरणा तथा अभिवृत्ति भी उसको प्रभावित करती है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है, कि वाणी दोष भावों और विचारों की विक्षिप्तता के कारण भी आता है।
  5. सुनने की क्षमता की कमी के कारण:- वाणी विकास में श्रवण प्रणाली भी महत्वपूर्ण होती है, यदि बालक ठीक प्रकार से नहीं सुन पाता है, तो उसको वाणी बाधित दोष माना जाता है। वाणी कौशल के अभाव में बालक का विकास भी ठीक नहीं होता और बालक को संयुक्त पृष्ठ पोषण मिलने के बाद भी वह वाणी दोष का शिकार हो जाता है।
  6. सामाजिक वातावरण के कारण :- भाषा संप्रेषण का प्रभावशाली साधन माना जाता है और इसका विकास सामाजिक वातावरण के द्वारा भी होता है। भाषा कौशल का विकास विद्यालय के साथ ही सामाजिक वातावरण में संप्रेषण से होने लगता है। घर के अच्छे वातावरण से बालक की भाषा का विकास आरंभ होता है। अगर सामाजिक वातावरण ही ठीक प्रकार से नहीं मिलता तो बच्चों में वाणी बाधित दोष उत्पन्न होने लगते हैं।
  7. मानसिक आघात के कारण:- मानसिक दोष के कारण भी यह दोष देखने को मिलते है। इस प्रकार के दोष को निरीक्षक द्वारा पहचाना जाता है और उच्चारण में दोष होने पर बालको के बोलने में निरंतर नहीं होती, वह रुक रुक कर बोलते हैं, विभिन्न प्रकार की घटनाओं के फलस्वरूप मस्तिष्क पर आघात लगने के कारण भी यह दोष उत्पन्न हो जाते हैं।

वाणी बाधित बालकों की वाणी में सुधार Improvment of Wani Badhit Balak 

इस समस्या का निदान करने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने कई प्रकार से अध्ययन किया और सर्वेक्षण भी किया और विभिन्न प्रकार के वाणी सुधार कार्यक्रम भी आयोजित किये और कार्यक्रम सफल भी हुए कियोकि बालको के वाणी दोष समझ कर बालकों का उपचार किया गया यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण सुझाव बताए गए हैं:- 

कई बार बालकों को दोषपूर्ण बता दिया जाता है, परंतु इस संबंध में उन्हें अधिक जानकारी नहीं दी जाती और उनके उपचार का कोई प्रबंध किया जाता है इससे माता-पिता चिंतित होने लगते हैं और बालक अपने आप में हीन भावना से दुखी हो जाता है। ऐसी स्थिति में बालक को प्रोत्साहित करना चाहिए और उसके दोष को खत्म करने के लिए तथा कम करने का प्रयास पारिवारिक स्तर से ही शुरू होना चाहिए। 

यदि एक वर्ष में सर्वेक्षण कार्य होता है, परंतु वर्ष में उपचार आरंभ नहीं होता तब बालक के एक स्कूल से दूसरी स्कूल में जाने की संभावना होती है, वह अगली कक्षा में चले जाते हैं, नए विद्यार्थी भी आ जाते हैं, यह भी संभव हो सकता है, कि कुछ बालकों का दोष कुछ ठीक हो गया हो तथा कुछ अधिक दुख से पीड़ित है। उस स्थिति में अध्यापक को वाणी बाधित बालको को चिन्हित करना चाहिए तथा मनोवैज्ञानिक तरीके तथा स्वास्थ्य सम्बंधित उपचार से उनकी समस्या का निदान करना चाहिए।

सही दिशा निर्देश तथा उपचार से वाणी सुधारक भी बदल सकता है।

बालक बेकार की आशंकाएं लगाए रहते हैं उनमें विच्छेपतता स्थान लेने लगती है, ऐसी स्थान पर बालको को प्रोत्साहित करना चाहिए।

माता पिता को अपने बालक तथा बालिकाओं पर विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा उनकी वाणी में सुधार का प्रयास करना चाहिए। 

दोस्तों यहाँ पर वाणी बाधित बालक का अर्थ (Wani Badhit Balak ka arth) वाणी बाधित बालक की परिभाषा, वाणी बाधित बालको के प्रकार आदि कई महत्वपूर्ण तथ्य पड़ें आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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