शिक्षा के उद्देश्य Objective of Education
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख शिक्षा के उद्देश्य (Objective of Education) में। दोस्तों यहाँ पर आप शिक्षा के उद्देश्य बी एड नोट्स, शिक्षा के उद्देश्य क्या क्या है? आधुनिक भारत में शिक्षा के उद्देश्य, जान पायेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख शिक्षा के उद्देश्य :-
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शिक्षा के उद्देश्य Objective of Education
वर्तमान समय में अगर भारत की बात करें तो सामाजिक राजनीतिक आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करना ही हमारा लक्ष्य होता है और इन उद्देश्यों के अध्ययन की सुविधा के लिए इनको दो प्रकारों से विभाजित किया गया है:-
- समाज के लिए शिक्षा के उद्देश्य
- व्यक्ति के लिए शिक्षा के उद्देश्य
समाज के लिए शिक्षा के उद्देश्य Objective of Education for Society
जब समाज के विभिन्न पक्षों के विकास की बात आती है उन्नति की बात आती है, तो सामाजिक उद्देश्यों को शिक्षा के उद्देश्य के साथ जोड़ा जाता है और उनको हर एक व्यक्ति को प्राप्त करना होता है, जिससे समाज का विकास होता है उत्थान होता है इसको निम्न प्रकार से समझा जा सकता है:-
- समाजवाद की स्थापना:- आज के समय में अगर हम बात करें तो भारत का उद्देश्य है, भारत में समाजवादी समाज की स्थापना करना और समाजवादी समाज में एक ही भावना होती है, सबका विकास सबका साथ। यहाँ पर सभी लोग सामान्य जीवन व्यतीत करते हुए प्रगति करते हैं और उनको प्रगति करने के लिए एक समान अवसर प्राप्त होते हैं। सभी लोगों के मौलिक अधिकारों का सम्मान किया जाता है और यहाँ पर समाज में सभी लोगों को उनके अनुकूल अपने आप को विकसित करने के लिए अवसर प्रदान किए जाते हैं, इसीलिए वर्तमान शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य समाजवाद की स्थापना करना है।
- सांप्रदायिक समस्याओं की समाप्ति:- भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही विभिन्न संप्रदाय हैं और इन संप्रदायों में कभी-कभी तनाव और संघर्ष भी देखने को मिलता है, जिसके कारण रक्तपात और हिंसा की घटनाएं होने लगती हैं, इसीलिए यहाँ पर भारतीय शिक्षा का उद्देश्य है, कि सांप्रदायिक असमानताओं को समाप्त करना यहां पर सभी के संप्रदाय को महत्व देते हुए सांप्रदायिक भावना को नियंत्रित करके आपसी सहयोग और सद्भावना का विकास करना भारतीय शिक्षा का उद्देश्य है, जिससे शिक्षा के माध्यम से मानवतावादी आदर्श का प्रचार प्रसार किया जा सके और सांप्रदायिकता जैसी समस्याओं की समाप्ति की जा सके।
- विभिन्न कुप्रथाओं का विरोध:- भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही समाज के विभिन्न प्रबुद्ध विचारको के द्वारा समाज के हित के लिए बनाए जाने वाली प्रथाएँ आज समाज और भारत देश के विकास में बाधा के रूप में सामने आती हैं और जिनमें जातिवाद, विधवा विवाह, दहेज प्रथा, छुआछूत आदि सर्वाधिक प्रमुख प्रथाएँ हैं, जिनके कारण आज समाज एकजुट होकर प्रगति के पथ पर अग्रसर नहीं हो पा रहा है, इसलिए भारतीय शिक्षा का उद्देश्य है, कि समाज में फैली इन प्रथाओं का विरोध किया जाए और अच्छी शिक्षा से शिक्षित होकर युवक और युक्तियां इन सामाजिक बुराइयों को समाप्त कर पाए।
- नेतृत्व की भावना का विकास :- भारत एक प्रजातांत्रिक देश है यहाँ पर नेतृत्व और नेताओं का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान होता है, किंतु अगर आज की बात करें तो वास्तविक नेताओं में नेतृत्व के गुणों का अभाव होता है और वह समाज का ठीक प्रकार से नेतृत्व करके विकास करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं, क्योंकि उन्हें अनुकूलित शिक्षा नहीं मिल पाती है, इसलिए भारतीय शिक्षा के द्वारा छात्रों को इस प्रकार से शिक्षा दी जाती है, कि उनमें वास्तविक नेताओं के गुणों का विकास हो और वह अच्छा नेतृत्व करके समाज का विकास कर सकें।
- सहयोग और संगठनकारी भावना का विकास :- किसी भी समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए बहुत ही जरूरी होता है, कि उस देश के नागरिकों में सहयोग की भावना होनी चाहिए, क्योंकि कोई भी व्यक्ति अकेले ही प्रगति नहीं कर सकता है उसे अपने समाज अपने परिवार की आवश्यकता अवश्य होती है और जब कोई व्यक्ति विकास करता है, तो उसके समाज का भी विकास होता है और समाज के विकास से ही राष्ट्र का विकास जुड़ा हुआ है, इसीलिए भारतीय शिक्षा के द्वारा लोगों में सद्गुणों का विकास करना प्रारंभिक शिक्षा से ही शुरू हो जाता है।
व्यक्ति के लिए शिक्षा के उद्देश्य Objective of Education for People
शिक्षा का एक महत्वपूर्ण संबंध हर एक व्यक्ति से होता है, क्योंकि शिक्षा मनुष्य के सभी पक्षों का विकास करने में सक्षम होती है, इसीलिए विभिन्न उपस्थितियों को देखते हुए यहां पर व्यक्ति के लिए शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन किया गया है:-
- बौद्धिक विकास:- जैसा कि हम जानते हैं, कि आज का युग विज्ञान का युग है और आज विज्ञान ने हमें हर एक वस्तु प्रदान कर दी है, इसीलिए वर्तमान शिक्षा का सबसे पहला उद्देश्य होता है, कि छात्र तथा छात्राओं का बौद्धिक विकास करना छात्र तथा छात्राओं को इस प्रकार से शिक्षित करना कि उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हो सके और वह बौद्धिक कार्यों को स्थिति के अनुसार कर सकें तथा स्वयं का विकास करने में सक्षम हो सके।
- आध्यात्मिक विकास:- वर्तमान में भारत में पश्चात्य संस्कृति सर्वाधिक विकसित होने लगी है, जिस कारण आध्यात्मिकता भारत में लुप्त होती जा रही है और आध्यात्मिकता के अभाव के कारण यहां पर अनेक समस्याएं अपने सामने भारतीय समाज के सामने खड़ी हो रही है और इन समस्याओं के निराकरण के लिए आध्यात्मिकता बहुत ही जरूरी है, क्योंकि आध्यात्मिकता के विकास से ही मनुष्य उन समस्याओं का समाधान कर पाता है, मनुष्य में आध्यात्मिकता के विकास के कारण ही सहनशीलता समस्याओं को समझने और सुलझाने की शक्ति आती है, इसीलिए भारतीय शिक्षा में व्यक्ति के लिए आध्यात्मिकता बहुत ही जरूरी हो गई है।
- चरित्र निर्माण:- भारतीय शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करना भी है और शिक्षा के हर क्षेत्र में चरित्र निर्माण पर बल भी दिया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा आयोग ने कहा है चरित्र निर्माण पर बल दिया जाना चाहिए, किंतु दुर्भाग्यवश अभी तक इस दिशा में अधिक प्रभावशाली कदम नहीं उठाए गए हैं, विद्वानों ने कहा है, कि हमारे शिक्षा के कार्य का पुनर्संगठन और व्यक्तियों का नैतिक पुनरुत्थान एक दूसरे से अविछिन्न रूप से जुड़ा हुआ है और हमें शिक्षा साहस के साथ दोनों कार्यों को आरंभ करना चाहिए।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:- शारीरिक स्वस्थ व्यक्ति के लिए बहुत ही आवश्यक है, इसीलिए व्यक्ति के लिए शिक्षा का उद्देश्य शरीर को स्वस्थ रखना भी होता है। भारतीय विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार शारीरिक स्वास्थ्य की शिक्षा प्रारंभिक स्तर से ही दी जाती है। भारत एक विकासशील देश है, जहां पर देश के समुचित विकास के लिए कठोर परिश्रम की जरूरत होती है और भारत को हर समय अपने पड़ोसी देशों के द्वारा आक्रमण का खतरा भी रहता है, इसीलिए भारत में वीर और स्वास्थ्य युवकों का होना बहुत ही जरूरी है और यह शिक्षा के द्वारा हमें प्राप्त होता है। हम इसके बारे में जानते हैं शिक्षा के साथ-साथ व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए एनसीसी (NCC) स्काउटिंग और एनएसएस (NSS) की भी स्थापना की गई है, जिसके फल स्वरुप विद्यार्थी स्वास्थ्य के बारे में जानते हैं और अपने आप को फिट और स्वस्थ रखने के लिए प्रयासरत रहते हैं, जबकि मानसिक स्वास्थ्य भी बहुत ही जरूरी होता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग व्यायाम मेडिटेशन बहुत ही आवश्यक माना गया है, जिससे हमारे मस्तिष्क को सोचने समझने की शक्ति मिलती है, हमारे मस्तिष्क की सहनशीलता बढ़ती है और हम दुखी हालत में अधिक दुखी नहीं होते अर्थात हम अपना मानसिक संतुलन ठीक प्रकार से बनाने में सक्षम रहते हैं।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण :- व्यक्ति के लिए शिक्षा का उद्देश्य होता है, कि जो वर्तमान में बेरोजगारी और गरीबी की समस्या खूब फैल रही है, उन समस्याओं पर काबू पाना अर्थात इस प्रकार से उनका प्रशिक्षण और रोजगारपरक शिक्षा दी जानी चाहिए, जिससे वह अपना जीवन यापन करने में सक्षम हो सके, इसलिए शिक्षा का उद्देश्य व्यावसायिक प्रशिक्षण देना भी जरूरी हो गया है और अपनी जीत का उपार्जित करने के लिए उनको सक्षम बनाना भी हो गया है।
दोस्तों यहाँ पर आपने शिक्षा के उद्देश्य (Objective of Education) के साथ ही शिक्षा के उद्देश्य बी एड नोट्स, शिक्षा के उद्देश्य क्या क्या है? आधुनिक भारत में शिक्षा के उद्देश्य पढ़े। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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