मध्याह्न भोजन कार्यक्रम क्या है what is midday meal program
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस लेख मध्याह्न भोजन कार्यक्रम क्या है (what is midday meal program) दोस्तों यहां पर आप मध्याह्न भोजन कार्यक्रम क्या है?
मध्याह्न भोजन योजना क्या है? मध्याह्न भोजन योजना के उद्देश्य क्या है? मध्याह्न भोजन योजना की आवश्यकता क्या है? आदि के बारे में जान पाएंगे, तो लिए शुरू करते हैं आज का यह लेख मध्याह्न भोजन कार्यक्रम क्या है:-
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मध्याह्न भोजन कार्यक्रम क्या है what is midday meal program
मध्याह्न भोजन कार्यक्रम को मिड डे मील कार्यक्रम के नाम से भी जाना जाता है, जो भारतवर्ष में 1961 में प्रारंभ हुआ। वर्तमान समय में यह भारत वर्ष में हर जगह हर विद्यालय में चलाया जा रहा है। पहले इस कार्यक्रम के द्वारा तीन से 6 वर्ष तक के बालकों को भोजन की व्यवस्था आंगनबाड़ी कार्यक्रमों के द्वारा की जाती थी
बाद में प्राथमिक स्तर पर यह व्यवस्था ग्राम प्रधान और शिक्षकों के सहयोग से की गई और इस योजना में बालकों को पका हुआ भोजन दिया जाने लगा, जिसकी गुणवत्ता की जांच भी की जाती है।
इस योजना के तहत बालकों को ऐसा भोजन दिया जाता है, जो 300 कैलोरी से युक्त होता है और जिसमें आवश्यक प्रोटीन लगभग 10 से 15 ग्राम होती है जो बालकों के विकास के लिए आवश्यक होती है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बालकों को पोषण प्रदान करना तथा बालकों की विद्यालय में संख्या बडाना है, जबकि इसके द्वारा बालक का शारीरिक मानसिक और शैक्षिक विकास भी होता है
मध्याह्न भोजन योजना के उद्देश्य Objectives of Mid Day Meal Scheme
मध्याह्न भोजन कार्यक्रम का प्रबंध विद्यालय करता है, जबकि विद्यालय के साथ राज्य सरकार भी इसमें भाग लेती है। प्रारंभ में मध्याह्न भोजन कार्यक्रम का प्रबंध विद्यालय के प्राचार्य शिक्षक तथा ग्राम के प्रधान मिलकर करते थे। इसके पश्चात अगर विद्यालय मध्याह्न भोजन के प्रबंध में असमर्थ रहता था, तो वह सरकार से
राजकोषीय माध्यम से कार्यक्रम चलाने के लिए अपील करता था और अब सरकारी योजना के तहत समस्त विद्यालयों में मध्याह्न भोजन कार्यक्रम चलाया जाता है। विद्यालय अथवा प्रशासन के द्वारा मध्याह्न भोजन के लिए वित्तीय व्यवस्था कर दी जाती है तो भोजन से जुड़े अन्य कार्यों के लिए छात्र और शिक्षक मिलकर विभिन्न समूह बनाते हैं। यही समूह भोजन तैयार करने उसको वितरित करने आदि सभी प्रकार के कार्य संभालते हैं।
शिक्षक क्षमता योग्यता के आधार पर विभिन्न छात्रों को भोजन व्यवस्था भी सौंपने का कार्य करते हैं और वह अपना अपना कार्य ठीक प्रकार से करते हैं। इस प्रकार से मध्याह्न भोजन कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसका सबसे प्रमुख उद्देश्य विद्यालय में छात्र संख्या बढ़ाना है।
इसके साथ ही बच्चों में मानसिक शारीरिक तथा शैक्षिक स्तर को अच्छा बनाना उनका विकास करना होता है। मध्याह्न भोजन कार्यक्रम का उद्देश्य है, कि विद्यालय में अधिक से अधिक छात्र संख्या हो और उनको पौष्टिक भोजन प्राप्त हो सके, ताकि वह शारीरिक और मानसिक रूप से शिक्षा के लिए सक्षम हो सके और अच्छी शिक्षा ग्रहण करके अपने आप का समुचित विकास कर सकें।
मध्याह्न भोजन कार्यक्रम की आवश्यकता Need for midday meal program
मध्याह्न भोजन कार्यक्रम की आवश्यकता क्यों पड़ी यह एक बहुत ही गंभीर विषय है, जिस पर विचार करना बहुत ही जरूरी होता है। हम सभी जानते हैं, कि प्रारंभिक जो बाल्यावस्था होती है, उस अवस्था में बालक को स्वच्छ और स्वस्थ आदतों का निर्माण करना चाहिए। इसके साथ ही उसे पौष्टिक आहार भी प्रदान करना चाहिए, क्योंकि इस समय उसका विकास सबसे तेजी से होता है, इसीलिए उसे उचित खाद्य पदार्थ दिए जाने चाहिए, जिससे उसका विकास हो सके।
बालक उस भोजन के प्रति रुचि दिखाते हैं, जो उनको पसंद है, लेकिन पसंद और ना पसंद उनके शरीर को प्रभावित कर सकती हैं, इसीलिए उनमें इस प्रकार की भावना जगानी चाहिए, जो उनके शरीर के विकास के लिए महत्वपूर्ण हो बालकों को दाल हरी पत्ते वाली सब्जियांँ कम पसंद आती हैं, जबकि उन्हें पेटिस बर्गर नूडल्स यह सब अधिक पसंद आते हैं, तो ऐसी स्थिति में विद्यालय के लिए आहार व्यवस्था निम्न प्रकार की बिंदुओं के आधार पर सुनिश्चित की गई है:-
- बालकों को भोजन निश्चित समय पर शांत और स्नेहिल वातावरण में दिया जाना चाहिए।
- सुबह का खाना पौष्टिक होना चाहिए और ऐसा भी हो जिसे खाने में कम समय लगे।
- बालकों को भोजन हमेशा सादा कम मिर्च मसाला वाला और आकर्षक ढंग से परोस कर दिया जाना चाहिए।
- बालक विद्यालय में 6-7 घंटे व्यतीत करता है अतः उनका भोजन पौष्टिक होना चाहिए।
पूर्व विद्यालय अवस्था में आते-आते बालक दूध के साथ-साथ अनाज दाल फल और सब्जियाँ युक्त विभिन्न भोज पदार्थ खाने के योग्य हो जाता है तथा जिज्ञासु और चंचल प्रवृत्ति होने के कारण बालकों का मन सदैव खेलों में लगा रहता है, इसलिए भोजन पर ध्यान उसका कम होता है। भूख की कमी रहती है,
बढ़ती हुई आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता तथा आहार में दूध से अन्य भोज पदार्थ पर स्थानांतरण आदि तत्व बालकों के लिए विभिन्न स्थिति उत्पन्न कर देते हैं, जबकि साथी शिक्षक और परिवार के लोगों के आशिक संबंध और व्यवहार बालकों की भोजन संबंधी आदतों एवं व्यवहार पर अमिट छाप छोड़ते हैं।
बालक बड़ों का आकर्षण करने के लिए भोजन का हथियार के रूप में प्रयोग करता है छात्र में भोजन करते समय अच्छी आदतों के निर्माण के लिए निम्नलिखित बातों का होना बहुत जरूरी है:-
- विद्यार्थियों का आहार उनकी पसंद के अनुरूप होना चाहिए।
- सादा मसाला वाला भोजन उन्हें दिया जाना चाहिए।
- विद्यार्थियों को तले भुने कठोर रेशेदार तथा मैदा से बने व्यंजन कम दिए जाने चाहिए, ताकि उनका पाचन तंत्र सुचारू रूप से चलता रहे।
- भोजन में छात्रों की रुचि बनाए रखने के लिए उन्हें कुछ मीठे व्यंजनों का भी समावेश करना चाहिए।
- प्राय: बालकों को हरी पत्तेदार सब्जियाँ दालें पसंद नहीं आती हैं, उन्हें सादा सब्जियों के रूप में न देकर भरवा परांठे पकौड़ी पूरी आदि के रूप में देना चाहिए।
दोस्तों यहाँ पर मध्याह्न भोजन कार्यक्रम क्या है (what is midday meal program) मध्याह्न भोजन योजना के उद्देश्य तथा आवश्यकता पढ़ी। आशा करता हूँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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