राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 और 1986 में क्या अंतर है? Difference between National Education Policy 1968 and 1986

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 और 1986 में क्या अंतर है? Difference between National Education Policy 1968 and 1986

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दोस्तों यहाँ पर आप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 के गुण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के गुण जान पायेंगे तो आइये शुरुआत करते है इस लेख की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 और 1986 में क्या अंतर है? 

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 और 1986 में क्या अंतर है

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 के गुण Merits of National Education Policy 1968

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 में शिक्षा को राष्ट्रीय महत्व का विषय घोषित किया गया और इस पर केंद्रीय बजट का 6% खर्च करने की भी घोषणा की गई।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 में एक समान शिक्षा संरचना संपूर्ण देश में लागू करने का सुझाव दिया जो 10+2+3 पर आधारित थी इस शिक्षा संरचना को 1986 की नीति में भी अपनाया गया।

अनिवार्य और निशुल्क प्राथमिक शिक्षा सभी बालक तथा बालिकाओं को देने पर और उसकी ठीक प्रकार से व्यवस्था करने पर इस शिक्षा नीति के द्वारा बल दिया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 में माध्यमिक शिक्षा का प्रचार प्रसार उसका विस्तार और उसमें गुणात्मक परिवर्तन पर बल दिया गया।

भारतीय भाषाओं का ठीक प्रकार से विकास करना तथा प्राथमिक शिक्षा भारतीय भाषाओं में ही प्रदान करना इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 में विचार किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 के अंतर्गत इस बात के भी सुझाव दिए गए, कि जो भी प्राथमिक विद्यालय के पश्चात प्रतिभावान छात्र-छात्राएं होंगी उनका चयन किया जाएगा और उनकी ठीक प्रकार से शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। 

कृषि व्यावसायिक तकनीकी और इंजीनियरिंग की शिक्षा पर भी बल दिया गया और देश के आर्थिक विकास की प्रगति के लिए इन क्षेत्रों में नवाचार के माध्यम से प्रगति करने पर विशेष बल दिया गया।

विज्ञान शिक्षा और वैज्ञानिक शोध पर विशेष ध्यान दिए गए तथा छात्रों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करने के लिए शिक्षा व्यवस्था में वैज्ञानिक पद्धति को अपनाया गया।

परीक्षा प्रणाली में भी सुधार कार्य किए गए तथा मूल्यांकन आंतरिक किया गया, जबकि ग्रेड पद्धति प्रचलित की गई।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 के अंतर्गत शिक्षकों के स्तर को अधिक मजबूत किया गया उनके वेतनमान और भत्तो को बढ़ाया गया प्रभावी शिक्षक बनने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय खोले गए।

छात्रों के कल्याण के लिए भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 में विशेष प्रावधान किए गए उनके लिए खेलकूद की उचित व्यवस्था आवश्यक सामग्री के साथ ही खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने की बात कही गई।

भारत देश में शत प्रतिशत साक्षरता प्राप्त करने के लिए और आर्थिक विकास के लिए प्रोढ़ शिक्षा को भी स्वीकार किया गया तथा इस पर विशेष बल दिया गया। 

शिक्षा में समानता का अधिकार और सभी के लिए शिक्षा के अवसर का भी समुचित ध्यान रखा गया पिछड़ी अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा विभिन्न अल्पसंख्यकों मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांग छात्र-छात्राओं की शिक्षा की विशेष प्रबंध किए गए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के गुण Merits of National Education Policy 1986

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में यह सिफारिश की गई की सभी राज्यों के लिए एक समान पाठ्यक्रम की व्यवस्था होगी यह पाठ्यक्रम राष्ट्रीय मूल्यों और राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ाएगा और देश की संस्कृति को भी बनाए रखेगा पाठ्यक्रम निर्माण के अधिकार राज्य और केंद्र दोनों के पास होंगे।

प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण भी किया गया 1990 तक 6 वर्ष से 11 वर्ष तक के छात्र तथा छात्राओं को जबकि 1995 से 11 से 14 वर्ष की आयु के छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया यहाँ पर महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने का प्रयास हुआ तथा अन्य सभी विद्यालयों में महिला शिक्षक की नियुक्ति होगी तथा तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी महिलाओं के प्रति किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा।

10 + 2 स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा पर भी विशेष ध्यान यहां पर दिया जाएगा कक्षा 11 और 12 में शिक्षा का व्यवसायीकरण की व्यवस्था होगी और शिक्षा को रोजगार से जोड़ा जाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अंतर्गत ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड के द्वारा विभिन्न शिक्षण संस्थानों को अच्छा और सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया गया ऐसे विद्यालय जहाँ पर ना तो भवन है ना शिक्षक ना शैक्षिक उपकरण है उनको चिन्हित किया जाएगा और उनको सारी सुविधाएं ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड के अंतर्गत प्रदान की जाएगी। 

पिछड़े वर्ग के बालक तथा बालिकाओं को शिक्षा के समुचित अवसर प्राप्त होंगे उनके लिए छात्रावासों की व्यवस्था नि:शुल्क भोजन पुस्तक तथा छात्रवृत्ति की व्यवस्था की जाएगी।

इस नीति 1986 के दौरान प्रौढ़ शिक्षा पर भी बल दिया गया 15 से 35 आयु वर्ग के लोगों के लिए साक्षरता कार्यक्रम चलाए जाएंगे और निरक्षरता दूर की जाएगी रेडियो दूरदर्शन और फिल्मों के द्वारा, जबकि शिक्षा पुस्तकालय और वाचनालयो के द्वारा उनको शिक्षित किया जाएगा।

शिक्षा को और अधिक मजबूत और विकसित करने के उद्देश्य से नवोदय विद्यालय की स्थापना की जाएगी, जिन्हें गति निर्धारक स्कूल भी कहा जाता है। प्रत्येक जिले में एक नवोदय विद्यालय मॉडल स्कूल के नाम से खोला जाएगा जो पूरी तरीके से आवासीय और नि:शुल्क शिक्षा व्यवस्था पर आधारित होगा। यहाँ पर ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्र के प्रतिभाशाली बालक बालिकाएँ अध्ययन कर पाएंगे, जबकि अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए विशेष आरक्षण भी होगा।

खुला विश्वविद्यालय दूरस्थ अध्ययन की भी व्यवस्था राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के दौरान की गई और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय को मजबूत बनाने के लिए सिफारिश की गई, जबकि अन्य खुला विश्वविद्यालय भी स्थापित किए जाएंगे, वही पत्राचार के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाएगी। 

डिग्रियों को नौकरी से अलग रखना इस शिक्षा नीति का महान उद्देश्य है, ऐसे पदों के लिए जहां डिग्री का होना अथवा ना होना कोई बात नहीं रखता वहां धीरे-धीरे डिग्री अथवा उपाधि की अनिवार्यता समाप्त कर दी जाएगी।

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